लंबे समय से प्रतीक्षित जातीय जनगणना की प्रक्रिया आखिरकार शुरू हो गई है। गृह मंत्रालय ने इससे जुड़े आधिकारिक गैजेट अधिसूचना जारी कर दी है, जिसमें बताया गया है कि जनगणना दो चरणों में की जाएगी। अधिसूचना के अनुसार, लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में यह जनगणना 1 अक्टूबर 2026 से, जबकि देश के बाकी हिस्सों में 1 मार्च 2027 से कराई जाएगी।
इस अधिसूचना को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “लंबे इंतजार के बाद बहुप्रचारित 16वीं जनगणना की अधिसूचना आखिरकार जारी हो गई है, लेकिन यह बिल्कुल ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ जैसी है क्योंकि इसमें 30 अप्रैल 2025 को घोषित बातों को ही दोहराया गया है।”
इस मुद्दे के साथ ही दिल्ली में एक और सियासी हलचल देखने को मिल रही है। आम आदमी पार्टी, जो कि इस समय दिल्ली में कमजोर होती दिख रही है, एक बार फिर झुग्गीवासियों के मुद्दे को लेकर सक्रिय हो गई है। झुग्गियों पर चल रहे बुलडोजर अभियान को लेकर आप नेता एक के बाद एक बीजेपी और मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इस क्रम में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी खुलकर हमला बोला है।
राजनीतिक विश्लेषकों का नजरिया
कैसे जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस की आपत्ति उसकी पुरानी राजनीति का हिस्सा रही है, जहां हर सकारात्मक कदम में कोई न कोई अड़चन डालने की कोशिश की जाती है।
कांग्रेस के बयानों से साफ है कि वह हर अच्छे काम में अड़ंगा डालने की नीति पर चल रही है। देश की कूटनीति हो, फिर चाहे वह गाजा हो या ईरान, कांग्रेस हर मोर्चे पर सवाल खड़े कर रही है। इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी कांग्रेस के अंदर ही मतभेद उभरे थे। उधर, दिल्ली की राजनीति में खुद को फिर से स्थापित करने के लिए केजरीवाल और उनकी पार्टी अब एक बार फिर से झुग्गीवासियों की राजनीति पर उतर आई है।