पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी के हालिया बयान से पाकिस्तान में राजनीतिक और धार्मिक हलकों में जबरदस्त विवाद छिड़ गया है। बिलावल भुट्टो ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि यदि भारत आतंकवाद पर गंभीर बातचीत के लिए तैयार होता है, तो पाकिस्तान को भी ऐसे लोगों को भारत के हवाले करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए जिनके खिलाफ पर्याप्त जांच और सबूत मौजूद हों। इस बयान में उन्होंने सीधे तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर के नाम लिए थे।

बिलावल भुट्टो के इस बयान ने पाकिस्तान में कट्टरपंथी और आतंकी संगठनों को भड़का दिया है। लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद ने बिलावल भुट्टो को “गद्दार” करार देते हुए कहा कि वो मुसलमान नहीं हैं। तल्हा सईद ने सवाल उठाते हुए कहा कि बिलावल भुट्टो आखिर किस अधिकार से उनके पिता को भारत को सौंपने की बात कर रहे हैं। सोशल मीडिया और धार्मिक मंचों पर तल्हा के इस बयान के बाद मामला और ज्यादा तूल पकड़ गया है।

सिर्फ आतंकी संगठनों ही नहीं, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने भी बिलावल के बयान की तीखी आलोचना की है। PTI नेताओं का कहना है कि इस तरह का बयान देश की सुरक्षा और संप्रभुता के खिलाफ है। इमरान खान के समर्थकों का आरोप है कि बिलावल अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर पाकिस्तान की छवि और राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता कर रहे हैं।

बिलावल भुट्टो के इस बयान ने पाकिस्तान के भीतर बैठे आतंकी नेटवर्क और उनकी राजनीतिक पकड़ की असलियत को भी उजागर किया है। लंबे समय से पाकिस्तान पर यह आरोप लगता रहा है कि वह आतंकियों को संरक्षण देता है और उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल करता है। बिलावल के बयान से एक ओर जहां भारत को पाकिस्तान के रुख में बदलाव की संभावनाएं दिख रही थीं, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के कट्टरपंथी तबके में भारी नाराजगी देखी जा रही है।

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के लिए यह बयान मुश्किलें बढ़ा सकता है। आतंकी संगठनों के साथ-साथ कट्टर धार्मिक गुटों का गुस्सा प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर पर भी फूट सकता है। इन संगठनों ने भी इशारों-इशारों में चेतावनी दे दी है कि अगर सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ कोई कदम उठाया तो वे भी विरोध का रास्ता अपना सकते हैं।

फिलहाल पाकिस्तान में बिलावल भुट्टो का यह बयान सियासी और सामाजिक भूचाल का कारण बन गया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान की सरकार और सेना इस विवाद को कैसे संभालती हैं और क्या वाकई पाकिस्तान की नीति में आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस बदलाव देखने को मिलेगा या नहीं।