महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता देते हुए बिहार सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए एक बड़ी पहल की है। अब राज्य की महिला कर्मियों को उनके कार्यस्थल के पास किराये पर सरकारी घर मुहैया कराए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य न केवल महिलाओं को एक सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना है, बल्कि उन्हें काम और घर के बीच संतुलन बनाने में भी मदद देना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली है, जिसे आगामी विधानसभा चुनावों से पहले महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

सुरक्षा और सुविधा के लिए बनाई गई योजना

करीब 4 लाख महिला कर्मचारियों को इस योजना का लाभ मिल सकता है। सरकार का मानना है कि जब महिलाएं कार्यस्थल के पास रहेंगी तो उन्हें आने-जाने में समय की बचत होगी और सुरक्षा की चिंता भी कम होगी। योजना के अंतर्गत सरकार खुद मकान किराये पर लेगी और महिलाओं को देगी। हालांकि इस सुविधा का लाभ लेने वाली महिला कर्मियों को हाउस रेंट अलाउंस (HRA) नहीं दिया जाएगा। यानी उनके वेतन से किराये की अलग से कोई राशि नहीं जोड़ी जाएगी।

हर जिले में एक चयन समिति गठित की जाएगी जिसकी अध्यक्षता संबंधित जिले के जिला अधिकारी करेंगे। यह समिति ऐसे मकानों का चयन करेगी जो सुरक्षित हों और जिनमें सभी बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी और शौचालय उपलब्ध हों। इन मकानों का किराया अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) तय करेंगे।

जिला और संभाग स्तर से होगी शुरुआत

शुरुआत में यह योजना सिर्फ जिला और संभाग स्तर पर कार्यरत महिला कर्मचारियों के लिए लागू की जाएगी। हालांकि, ब्लॉक या पंचायत स्तर की महिला कर्मचारी भी इस योजना का लाभ ले सकती हैं, बशर्ते वे अपने विभागीय प्रमुख के माध्यम से SDO को आवेदन भेजें।
बिहार सरकार पहले से ही महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35% और स्थानीय निकायों में 50% आरक्षण दे रही है। प्राथमिक शिक्षक भर्ती में भी महिलाओं को 50% आरक्षण प्राप्त है। इस आवासीय योजना को राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण के अगले पड़ाव के रूप में पेश कर रही है, जिससे कार्यरत महिलाओं को जीवन के हर स्तर पर अधिक सम्मान और सहूलियत मिल सके।