पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के शीर्ष नेताओं ने बुधवार को कोलकाता में एक विरोध मार्च निकाला। यह मार्च भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों के कथित उत्पीड़न और आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में होने वाले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के खिलाफ आयोजित किया गया।

“पिछले दरवाजे से NRC” की चेतावनी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग द्वारा बिहार में 24 जून से शुरू किए गए मतदाता सूची पुनरीक्षण की तर्ज पर अब बंगाल में भी यही प्रक्रिया लागू की जा रही है, ताकि “बंगाली भाषी मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किया जा सके।” उन्होंने इस पहल को “पिछले दरवाजे से NRC (राष्ट्रीय नागरिक पंजी)” लाने का प्रयास बताया और कहा कि इससे राज्य की सामाजिक संरचना को प्रभावित किया जा सकता है।

संपूर्ण TMC  नेतृत्व सड़कों पर

कोलकाता के मध्य हिस्से में आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। पार्टी का दावा है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में बसे बंगाली भाषी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और उनकी नागरिकता को संदेह के दायरे में लाया जा रहा है।

444 संदिग्ध बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी बनी विवाद की जड़

इस विरोध मार्च की एक और पृष्ठभूमि ओडिशा के झारसुगुड़ा में 444 संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों की हालिया गिरफ्तारी है। तृणमूल कांग्रेस ने इसे ‘भाषाई प्रोफाइलिंग’ करार देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि बंगाली बोलने वाले सभी लोगों को बांग्लादेशी बताना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह बंगाल की सांस्कृतिक अस्मिता पर भी चोट है।

चुनाव आयोग की योजना और भाजपा की प्रतिक्रिया

भारत निर्वाचन आयोग ने पुष्टि की है कि पश्चिम बंगाल में अगस्त से अक्टूबर 2025 के बीच मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा की जाएगी। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के अनुसार, प्रक्रिया का आदेश अगले एक महीने में जारी किया जा सकता है।

इस पर भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ममता बनर्जी पर पलटवार करते हुए कहा, “वह बेशर्मी से अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं को बंगाली बताने की कोशिश कर रही हैं, जो बंगाल की सांस्कृतिक विरासत का अपमान है।” उन्होंने आरोप लगाया कि ममता सरकार राजनीतिक लाभ के लिए राज्य की पहचान को खतरे में डाल रही है।

राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर सियासी आरोप-प्रत्यारोप तेज़ हो गए हैं। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले यह मुद्दा और भी गरमा सकता है। सभी निगाहें अब इस बात पर हैं कि चुनाव आयोग का अगला कदम क्या होगा और यह प्रक्रिया किस तरह आगे बढ़ेगी।