बांग्लादेश में हाल के दिनों में एक चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है। देश के कार्यवाहक प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर यह आरोप लगा है कि उन्होंने भारत के साथ एक सीमित सैन्य टकराव की साजिश रची थी, जिससे वे घरेलू संकटों से जनता का ध्यान भटका सकें और सत्ता में अपनी पकड़ बनाए रख सकें। हालांकि, इस योजना पर बांग्लादेश सेना ने सख्त आपत्ति जताई और उसे समय रहते नाकाम कर दिया।
सूत्रों के अनुसार, यह साजिश पिछले महीने तब रची गई जब भारत पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चला रहा था। मोहम्मद यूनुस ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान और सेना के क्वार्टर मास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान के साथ इस योजना पर चर्चा की। योजना का मकसद सीमित सीमा संघर्ष कराकर देश में राजनीतिक अस्थिरता से ध्यान हटाना था।
बीजीबी को भड़काने के पीछे ‘जमुना’ का आदेश
बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दिकी ने अपने जवानों को आक्रामक रुख अपनाने के निर्देश दिए थे। जब सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-ज़मां को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने बीजीबी प्रमुख को फटकार लगाई। बीजीबी चीफ ने सफाई दी कि उन्हें यह आदेश ‘जमुना’ से मिले थे — जो कार्यवाहक सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस का आवास-कम-कार्यालय है।
यूनुस ने ढाका ब्रिगेड के एक कर्नल को निर्देश दिया था कि वे इस योजना को कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से साझा करें और समर्थन हासिल करें। साथ ही NSA खलीलुर रहमान और जमात नेताओं को भी वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को इस योजना के पक्ष में करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
सेना ने एकजुट होकर की साजिश की निंदा
जैसे ही यह साजिश सेना प्रमुख के कानों तक पहुंची, उन्होंने तत्काल अपनी उच्च स्तरीय टीम के साथ बैठक की। इसमें चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मिजानुर रहमान शमीम, एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान और एडमिरल मोहम्मद नजमुल हसन शामिल थे। सभी ने इस योजना को मूर्खतापूर्ण और खतरनाक बताया।
जनरल वाकर-उज-ज़मां ने यूनुस और NSA को स्पष्ट संदेश भेजा कि बांग्लादेश सेना भारत से युद्ध करने की न तो क्षमता रखती है और न ही इच्छा। उन्होंने कहा कि बीजीबी सेना की सहायक इकाई है और केवल सेना प्रमुख के आदेशों का पालन करती है। सेना प्रमुख ने स्पष्ट किया कि बीजीबी केवल उन्हीं के अधीन है और सरकार इसे सीधे निर्देश नहीं दे सकती।