जब किसी देश का नेता जनता का भरोसा खोने लगे, तो वह ध्यान भटकाने के लिए अक्सर बाहरी दुश्मन खड़ा करने की कोशिश करता है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने भी कुछ ऐसा ही किया। जनता के गुस्से और राजनीतिक अस्थिरता से घिरे यूनुस ने भारत के खिलाफ एक साजिश रची थी, जिसका खुलासा अब हो गया है। योजना थी कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीमित झड़पें कराकर राष्ट्रवाद का माहौल बनाया जाए, ताकि जनता का ध्यान भटकाया जा सके और वे अपने आक्रोश को भूलकर यूनुस के पक्ष में खड़े हो जाएं।
सीमा पर तनाव का था प्लान
मोहम्मद यूनुस की योजना थी कि भारत के साथ सीमा पर कुछ झड़पें कराई जाएं। इसका मकसद था कि देश के अंदर बढ़ रहे विरोध को “राष्ट्रभक्ति” में बदला जाए। इस योजना में जमात-ए-इस्लामी और एनसीपी जैसे कट्टरपंथी राजनीतिक गुटों का साथ भी यूनुस को मिल रहा था। ये वही संगठन हैं जो पहले भी बांग्लादेश को कट्टरपंथ की ओर धकेलने के लिए बदनाम रहे हैं।
लेकिन इस पूरे प्लान पर पानी फेर दिया बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार उज जमां ने। उन्होंने इस साजिश को समय रहते पहचान लिया और साफ कर दिया कि यह न केवल देश के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र की शांति के लिए खतरनाक है। वकार उज जमां के हस्तक्षेप से यूनुस का यह खेल फेल हो गया।
लंदन में भी हुआ जबरदस्त विरोध
देश में पकड़ कमजोर होने के बाद मोहम्मद यूनुस जब ब्रिटेन के लंदन दौरे पर पहुंचे, तो वहां भी उन्हें जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा। होटल के बाहर सैकड़ों की संख्या में ब्रिटिश-बांग्लादेशी प्रदर्शनकारियों ने “वापस जाओ यूनुस” के नारे लगाए।
यह साफ संकेत है कि अब न सिर्फ बांग्लादेश बल्कि प्रवासी बांग्लादेशियों में भी मोहम्मद यूनुस को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। भारत के खिलाफ साजिश रचकर खुद को राष्ट्रभक्त दिखाने की उनकी कोशिश नाकाम रही, और अब वे हर तरफ से घिरते नजर आ रहे हैं।