बाइसरण घाटी में हाल ही में हुए भयावह आतंकी हमले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के साझा षड्यंत्र के तहत इस हमले को अंजाम दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, ISI ने लश्कर कमांडर साजिद जट्ट को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि इस ऑपरेशन में केवल विदेशी आतंकियों को शामिल किया जाए, ताकि पूरी योजना गुप्त बनी रहे और स्थानीय स्तर पर न्यूनतम जानकारी साझा की जाए।
जांच में सामने आया है कि हमले का नेतृत्व सुलैमान नामक आतंकी कर रहा था, जो कथित रूप से पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स का पूर्व कमांडो रहा है। वह 2022 में LoC पार कर जम्मू क्षेत्र में दाखिल हुआ था और उसके पास M-4 राइफल थी। वह लश्कर-ए-तैयबा के मुरिदके स्थित अड्डे पर प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका था। उसके साथ दो और पाकिस्तानी आतंकवादी इस स्क्वॉड का हिस्सा थे।
हमले से पहले एक सप्ताह तक इलाके में छिपा रहा सुलैमान
सैटेलाइट फोन विश्लेषण से पता चला है कि 15 अप्रैल को सुलैमान त्राल के जंगलों में मौजूद था, जो बाइसरण घाटी के बेहद करीब है। इसका मतलब है कि वह घटना से करीब एक सप्ताह पहले से ही इलाके में सक्रिय था। उल्लेखनीय है कि वह अप्रैल 2023 में पुंछ में एक सेना के ट्रक पर हुए हमले में भी शामिल था, जिसमें पांच जवान शहीद हो गए थे।
स्थानीय आतंकियों की भूमिका सीमित
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, इस हमले में किसी भी कश्मीरी आतंकी की प्रत्यक्ष संलिप्तता नहीं थी। हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दो स्थानीय व्यक्तियों — परवेज अहमद जौहर और बशीर अहमद जौहर — को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने पाकिस्तानी आतंकियों को खाना, आश्रय और अन्य लॉजिस्टिक सहायता उपलब्ध कराई थी। बदले में उन्हें कुछ हजार रुपये की रकम दी गई थी।
सुरक्षा में बड़ी चूक और पर्यटन विभाग की भूमिका
घटना स्थल एक खुला मैदान था, जहां किसी सुरक्षाबल की स्थायी तैनाती नहीं थी। बारिश के बाद पर्यटकों का आना सिर्फ तीन दिन पहले ही शुरू हुआ था। यह स्थल जम्मू-कश्मीर पर्यटन विकास निगम द्वारा एक निजी ऑपरेटर को तीन वर्षों के लिए लीज पर दिया गया था, लेकिन पूर्ण भुगतान न होने के कारण सभी जरूरी अनुमति नहीं मिल पाई थी।
यह हमला न सिर्फ जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि ISI और LeT की नई रणनीति की ओर भी इशारा करता है — जिसमें विदेशी आतंकियों के ज़रिए हमले को अंजाम दिया जा रहा है, ताकि सुरक्षाबलों की निगरानी को चकमा दिया जा सके। जांच एजेंसियां अब इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए सक्रिय हो गई हैं और सुरक्षा बलों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है।