सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक चौंकाने वाली घटना घटी जब एक वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी आर गवई पर हमला करने का प्रयास किया। वकील ने कोर्ट के दायस के पास जाकर जूता निकालने और CJI की ओर फेंकने की कोशिश की। हालांकि, सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप कर वकील को बाहर कर दिया।

इस घटना के बाद वकील के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। कई वरिष्ठ वकीलों और न्यायपालिका विशेषज्ञों ने आपराधिक अवमानना के तहत कार्रवाई की आवश्यकता जताई है। इसके अलावा, देश के अटॉर्नी जनरल को भी इस मामले में लिखित नोट भेजा गया है ताकि कानूनी प्रक्रिया के तहत उचित कदम उठाए जा सकें।

विपक्षी दलों ने इस हमले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस पार्टी ने मामले को लेकर सवाल उठाते हुए घटना की गंभीरता को रेखांकित किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेश राम ने हमले के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना न्यायपालिका की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है और इसके लिए कठोर कदम उठाना आवश्यक है।

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट जैसी संवेदनशील जगहों पर सुरक्षा इंतजामों को और सख्त करने की आवश्यकता है। इस प्रकार की घटनाओं से न्यायिक प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है और आम जनता में न्यायपालिका की छवि पर भी प्रभाव पड़ता है।

वहीं, घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। समिति की जिम्मेदारी है कि हमले के पीछे की वजहों और सुरक्षा खामियों का पता लगाया जाए। वकील की मानसिक और कानूनी स्थिति की भी जांच की जा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना न केवल न्यायपालिका के प्रति चुनौती है, बल्कि पूरे कानूनी ढांचे में सुरक्षा और अनुशासन की आवश्यकता को भी उजागर करती है। इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई के निर्णय पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

इस हमले ने न्यायपालिका और राजनीति के बीच नई बहस को जन्म दिया है। जैसे-जैसे मामले की जांच आगे बढ़ेगी, यह साफ होगा कि वकील के खिलाफ कौन-कौन से कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा और सम्मान को बनाए रखना अब सभी की प्राथमिकता बन गई है।