पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने शुक्रवार को संसद में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 20-बिंदु वाला प्रस्ताव, जो गाजा में इजरायल-हमास संघर्ष को समाप्त करने के लिए पेश किया गया है, पाकिस्तान और मुस्लिम बहुल देशों के समूह के मसौदे से मेल नहीं खाता। डार ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के समर्थन के बावजूद यह योजना पाकिस्तान की नहीं है।

विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा, “मैं स्पष्ट कर दूँ कि ट्रंप द्वारा सार्वजनिक किए गए ये 20 बिंदु हमारी योजना नहीं हैं। इनमें हमारे मसौदे में कुछ बदलाव किए गए हैं और ये हमारे संस्करण के अनुरूप नहीं हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने इस मसौदे को मुस्लिम देशों के समूह के साथ तैयार किया था, लेकिन ट्रंप के प्रस्ताव में कुछ बदलाव किए गए हैं।

हमास के एक अधिकारी ने 3 अक्टूबर को कहा कि समूह अभी भी अमेरिकी प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमास अभी भी ट्रंप के प्रस्ताव के संबंध में परामर्श जारी रखे हुए है और इसे समझने के लिए समय की आवश्यकता है।” ट्रंप ने 30 सितंबर को हमास को इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तीन से चार दिन का अल्टीमेटम दिया था।

अमेरिका और इजरायल की ओर से प्रस्तुत यह शांति प्रस्ताव गाजा में लगभग दो साल से जारी युद्ध को समाप्त करने का प्रयास है। ट्रंप के प्रस्ताव में युद्ध विराम, मानवीय सहायता और क्षेत्रीय सुरक्षा उपायों का उल्लेख किया गया है। हालांकि पाकिस्तान और हमास ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें प्रस्ताव को पूरी तरह अपनाने से पहले अध्ययन और परामर्श की जरूरत है।

पाकिस्तान ने प्रस्ताव पर अपनी अलग राय रखकर यह संकेत दिया कि वह सीधे तौर पर अमेरिका की नीतियों का समर्थन नहीं करता। इस कदम से क्षेत्रीय कूटनीति और मध्य पूर्व में शांति प्रयासों की दिशा प्रभावित हो सकती है। हमास का अध्ययन जारी रखना यह दर्शाता है कि फिलिस्तीनी संगठन अभी किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचा है।

गाजा संकट और ट्रंप का प्रस्ताव अब अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। पाकिस्तान और हमास की प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि क्षेत्रीय साझेदारों के समर्थन और मंजूरी के बिना अमेरिकी शांति पहल लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा। आगामी दिनों में इस प्रस्ताव पर राजनीतिक और कूटनीतिक बहस और बढ़ सकती है।