लद्दाख में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों ने हालात तनावपूर्ण बना दिए हैं। प्रदर्शनों के दौरान हुई झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। घटना के बाद क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और बातचीत से ही रास्ता निकाला जा सकता है।

इस बीच, हिंसा को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आरोप लगाया है कि लद्दाख में हुए विरोध प्रदर्शन किसी “स्वत:स्फूर्त आंदोलन” का हिस्सा नहीं थे, बल्कि यह कांग्रेस की “नापाक साजिश” थी। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह विरोध Gen Z का आंदोलन नहीं था, बल्कि कांग्रेस समर्थित लोगों द्वारा भड़काया गया था।

बीजेपी ने सीधे तौर पर कांग्रेस पार्षद स्टैनज़िन त्सेपांग का नाम लिया और आरोप लगाया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाया। पार्टी ने कहा कि इस तरह की हरकतें क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हैं और राजनीतिक लाभ के लिए जनता को भड़काना दुर्भाग्यपूर्ण है।

कांग्रेस की ओर से अब तक इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन स्थानीय स्तर पर कांग्रेस से जुड़े कुछ नेताओं ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि जनता की नाराजगी वास्तविक मुद्दों को लेकर है और इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार देना सही नहीं है।

हिंसक घटनाओं के बाद प्रशासन ने इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है। इंटरनेट सेवाओं पर भी आंशिक रोक लगाई गई है ताकि अफवाहों का प्रसार न हो। अधिकारियों ने लोगों से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की भ्रामक खबरों पर ध्यान न देने की अपील की है।

लद्दाख में हुए इस हिंसक आंदोलन ने स्थानीय राजनीति और राष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। एक ओर जहां बीजेपी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे जनता की आवाज बता रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में स्थिति को शांत करने और राजनीतिक विवाद को सुलझाने के लिए सरकार और स्थानीय नेतृत्व क्या कदम उठाते हैं।