बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर पैदा हुई खींचतान के बीच कांग्रेस ने लगभग 100 सीटों पर दावेदारी जताई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जोर दे रहे हैं कि सभी समायोजन द्विपक्षीय होना चाहिए। बढ़ते राजनीतिक दबाव और समय की कमी के बीच कांग्रेस नेताओं ने बिहार के मजबूत उम्मीदवारों की पहचान करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए राज्य में संवाद शुरू कर दिया है। पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की दो बैठकों में अब तक 36 सीटों पर विस्तार से चर्चा की गई है और सभी वर्तमान विधायक फिर से मैदान में उतर सकते हैं। पहली बैठक 10 घंटे से अधिक चली, जिसमें स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों ने राज्य नेतृत्व के साथ चर्चा की और सभी सांसदों के साथ व्यक्तिगत सत्र आयोजित किए। दूसरी बैठक लगभग पांच घंटे चली।
पहली बैठक में जीतने की संभावनाओं के आधार पर कम से कम 36 उम्मीदवारों के नामों पर विचार किया गया, जबकि शेष 30 सीटों पर दूसरी बैठक में चर्चा हुई। पार्टी के सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नई गठबंधन साझेदारों के लिए समायोजन करने के बाद लगभग 60–62 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, लेकिन पहले प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में कम से कम 76 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर विचार किया गया।
कांग्रेस का उद्देश्य स्पष्ट है: बिहार में अपने प्रदर्शन को मजबूत करना और महागठबंधन में अपने प्रभाव को बनाए रखना। पार्टी इस समय राज्य के प्रमुख क्षेत्रों में संभावित उम्मीदवारों की पहचान के साथ-साथ गठबंधन सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय लेने में जुटी हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सीटों की घोषणा और उम्मीदवारों की अंतिम सूची आने वाले हफ्तों में महागठबंधन के भीतर सामंजस्य बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। इसके साथ ही, बिहार चुनाव के नतीजे राजनीतिक दलों की रणनीति और गठबंधन के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं।
कांग्रेस के इस सक्रिय कदम से साफ है कि पार्टी बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करने और महागठबंधन में संतुलन बनाए रखने के लिए जल्द ही उम्मीदवारों और सीटों को अंतिम रूप देगी। आगामी दिनों में इस प्रक्रिया के परिणाम और उम्मीदवारों की सूची पर नजर बनी रहेगी।