कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में ‘वोट चोरी’ को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के आलंद में 6,018 वोट काटे गए और महाराष्ट्र के राजौरा में फर्जी वोट जोड़े गए। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और केंद्रीय निर्वाचन प्राधिकरण (CEC) पर भी आरोप लगाए, साथ ही इस मामले में जांच की मांग की।

राहुल गांधी ने बताया कि कांग्रेस जहां मजबूत है, वहां वोट डिलीट या फर्जी तरीके से जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने सीआईडी (CID) को 18 खत भेजे हैं और आयोग से स्पष्ट जवाब की उम्मीद की है। उनका कहना था कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए यह गंभीर मामला है और इसके लिए तत्काल जांच की आवश्यकता है।

इस मामले पर चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप आधारहीन हैं और उनके पास इस तरह के दावे को साबित करने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि वोट ऑनलाइन डिलीट या जोड़ना तकनीकी रूप से संभव नहीं है।

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) और मतदाता सूची की प्रक्रियाएं सुरक्षित और पारदर्शी हैं। आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए कड़े नियम और निगरानी तंत्र मौजूद हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे आरोप अक्सर चुनावी माहौल को गर्म करने के लिए लगाए जाते हैं, लेकिन इन्हें साबित करने के लिए स्पष्ट और तकनीकी प्रमाण होना आवश्यक है। राहुल गांधी के बयान पर विपक्ष और अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं, लेकिन आयोग की सफाई ने विवाद को फिलहाल शांत करने की कोशिश की है।

इस मामले ने वोटिंग प्रक्रिया की सुरक्षा और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर भी चर्चा को जन्म दिया है। इससे पहले भी चुनाव आयोग ने समय-समय पर EVM और मतदाता सूची की पारदर्शिता को लेकर मतदाताओं को आश्वस्त किया है।

राहुल गांधी के आरोपों और आयोग की प्रतिक्रिया के बीच यह मामला सार्वजनिक और राजनीतिक बहस का हिस्सा बन गया है। आगामी दिनों में अगर कोई स्वतंत्र जांच या तकनीकी ऑडिट होता है, तो यह स्पष्ट कर सकेगा कि आरोपों में कितनी सच्चाई है और चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी हुई है या नहीं।