अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलासा किया है कि भारत पर रूसी तेल की खरीद को लेकर लगाए गए भारी टैरिफ से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हुआ था। एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि 50 प्रतिशत टैरिफ लगाना आसान निर्णय नहीं था, बल्कि यह अमेरिका के लिए बहुत बड़ी बात थी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे दोनों देशों के बीच दरार आ गई।

डोनाल्ड ट्रंप ने एक साक्षात्कार के दौरान फॉक्स एंड फ्रेंड्स से बातचीत में स्वीकार किया, “इंडिया रूस का सबसे बड़ा ग्राहक था। मैंने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया क्योंकि वे रूस से तेल खरीद रहे थे। यह आसान काम नहीं था, बल्कि एक बहुत बड़ा कदम था। इससे भारत के साथ संबंधों में खटास आई।”

इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूत बताते हुए भारत की वैश्विक भूमिका पर भी ज़ोर दिया। अमेरिकी सीनेट फॉरेन रिलेशन कमेटी में रुबियो ने कहा, “भारत आज दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है। 21वीं सदी में वैश्विक भू-राजनीति की कहानी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में लिखी जाएगी। इसलिए हमने इंडो-पैसिफिक कमांड का नाम बदला है। भारत इस रणनीतिक क्षेत्र का केंद्र बिंदु है।”

ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी सकारात्मक भावना भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक हैं। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “मैं अपने बहुत अच्छे मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करने के लिए अगली कुछ सप्ताहों में तत्पर हूं। मुझे पूरा यकीन है कि दोनों महान देशों के लिए सफल समझौते तक पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी।”

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकता है। इसके अलावा यह स्पष्ट संकेत है कि ट्रंप अपने राष्ट्रपति काल में किए गए फैसलों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। भारत के लिए यह संदेश महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को कई मौकों पर मजबूत करने की आवश्यकता रही है, खासकर रूस के साथ भारत के गहरे संबंधों को लेकर।

इस समय दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा, तकनीकी सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दे अहम बने हुए हैं। ट्रंप के इस बयान से यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में भारत-अमेरिका के रिश्ते और भी अधिक मजबूत होंगे।

आगे की कार्रवाई पर ध्यान रखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच बातचीत कैसे आगे बढ़ती है और क्या नए समझौते पर सहमति बनती है। पूरी दुनिया की नजरें इस रणनीतिक साझेदारी पर टिकी हुई हैं।