उपराष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली पहुंचे, लेकिन वहां उन्हें कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। काफिले को रोकते हुए विरोध प्रदर्शनकारियों ने “राहुल गांधी वापस जाओ” के नारे लगाए। इस विरोध की वजहें गहराती सियासी परिस्थितियों और चल रहे कानूनी विवाद से जुड़ी हैं। खासतौर पर नेशनल हेराल्ड मामले और नागरिकता से पहले वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी के नाम दर्ज होने के मामले ने कांग्रेस नेतृत्व के लिए नए संकट खड़े कर दिए हैं।

नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत में आज ईडी (एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट) ने दो महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश किए। जांच एजेंसी का दावा है कि ये दस्तावेज राहुल गांधी और सोनिया गांधी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इसके चलते कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी दोनों पर कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है। मामले की सुनवाई अभी चल रही है और अदालत ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है। कानूनी जानकार मानते हैं कि दस्तावेजों की पेशी से केस में गंभीर मोड़ आ सकता है।

इसी बीच, नागरिकता से पहले वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी के नाम दर्ज होने के मामले में भी राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में भी फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ा सकता है क्योंकि भारतीय नागरिकता से जुड़े संवेदनशील सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में भी आगे की कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का रायबरेली दौरा ऐसे समय में हुआ जब कांग्रेस नेतृत्व पर सियासी और कानूनी दबाव लगातार बढ़ रहा है। विपक्षी दलों ने इस मौके पर गांधी परिवार पर सवाल उठाए हैं। भाजपा ने भी लगातार नेशनल हेराल्ड और नागरिकता विवाद को उठाते हुए कांग्रेस पर हमलावर रुख अपनाया है।

इससे पहले उपराष्ट्रपति चुनाव में मिली करारी हार ने कांग्रेस के राजनीतिक संकट को और बढ़ा दिया था। पार्टी के भीतर भी सवाल उठने लगे हैं कि नेतृत्व किस दिशा में जा रहा है।

अब सभी की निगाहें नेशनल हेराल्ड मामले और नागरिकता विवाद से जुड़े फैसलों पर टिकी हैं। आने वाले हफ्तों में कोर्ट का फैसला कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य के लिए अहम साबित होगा।

जैसे-जैसे कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर पड़ता सियासी और कानूनी दबाव बढ़ता जा रहा है। देश भर में राजनीतिक माहौल और मीडिया भी इन घटनाक्रमों पर गहराई से नजर बनाए हुए हैं।