भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद गहराने के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। मुलाकात के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान मूल के कारोबारी मुनीर को सख्त चेतावनी दी। इस पर रूस ने भी भारत का समर्थन जताया।
बैठक के दौरान जयशंकर ने रूसी कंपनियों को भारत में निवेश और कारोबार बढ़ाने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहल और शहरीकरण से पैदा होने वाली मांग रूसी कारोबारियों के लिए बड़े अवसर लेकर आई है। इस दौरान ऊर्जा क्षेत्र को लेकर भी अहम चर्चा हुई। रूस ने भारतीय तेल कंपनियों को राहत देते हुए सस्ते तेल की आपूर्ति जारी रखने की घोषणा की।
टैरिफ विवाद पर अमेरिका को कड़ा संदेश देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएगा। रूस के साथ आर्थिक साझेदारी को और गहरा करना इसका संकेत है। ट्रंप प्रशासन भारत पर टैरिफ दबाव बढ़ा रहा है, लेकिन रूस के साथ बढ़ता सहयोग अमेरिका की रणनीति को चुनौती दे सकता है।
बैठक में आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त रणनीति पर भी सहमति बनी। जयशंकर और लावरोव ने सीमा पार आतंकवाद की निंदा की और इस खतरे से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। इसके अलावा दोनों नेताओं ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा की तैयारियों पर भी चर्चा की।
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा वैश्विक हालात में भारत और रूस का तालमेल दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से अहम है। अमेरिका की ओर से दबाव बढ़ने के बावजूद भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र और संतुलित रहेगी।
भारत और रूस की यह बैठक न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम है बल्कि अमेरिका को भी यह संदेश देती है कि भारत अपने आर्थिक और रणनीतिक फैसलों में किसी दबाव में नहीं आएगा। अब देखना होगा कि टैरिफ विवाद को लेकर अमेरिका की अगली प्रतिक्रिया क्या होती है।