चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीते तीन सप्ताह से सार्वजनिक मंचों से गायब हैं, जिससे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के भीतर गंभीर अंदरूनी उथल-पुथल के कयास लगने लगे हैं। कभी पार्टी को एकजुट करने वाले नेता के तौर पर देखे जाने वाले शी जिनपिंग ने सत्ता पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर शुद्धिकरण अभियान और वफादारी आधारित शासन की नीति अपनाई थी। लेकिन हाल ही में शीर्ष अधिकारियों की बर्खास्तगी और सैन्य नेतृत्व में बदलाव से यह संकेत मिल रहे हैं कि सत्ता के उच्चतम स्तर पर दरारें उभर रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक संकट, निचले स्तर के पार्टी कैडरों की निष्क्रियता और कमांड स्ट्रक्चर के डगमगाने से शी जिनपिंग का नियंत्रण कमजोर होता दिख रहा है। उनके तीसरे अभूतपूर्व कार्यकाल के बीच उनकी चुप्पी ने बीमारी, आंतरिक सत्ता संघर्ष या उनके राजनीतिक पतन की शुरुआत जैसे सवाल खड़े कर दिए हैं।
चीनी मामलों के विशेषज्ञ तांग जिंगयुआन के अनुसार, भले ही शी जिनपिंग पार्टी के महासचिव, राष्ट्रपति और केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में तीनों पद संभालते हैं, लेकिन वास्तविक निर्णय लेने की शक्ति अब एक नए संगठन—‘एजेंसी ऑफ डिसीजन मेकिंग एंड डिलिबरेशन एंड कोऑर्डिनेशन’—को हस्तांतरित हो चुकी है। वहीं पत्रकार जेनिफर झेंग का दावा है कि शी जिनपिंग द्वारा हाल ही में पदोन्नत किए गए कई सैन्य जनरलों को हटाया जा चुका है और कुछ के खिलाफ कठोर कार्रवाई भी की गई है। उन्होंने कहा, “शी जिनपिंग नियंत्रण खो रहे हैं।”
अमेरिका के पूर्व राजनयिक ग्रेगरी डब्ल्यू. स्लेटन ने भी हाल ही में एक लेख में चीन के सत्ता ढांचे में हलचल के संकेत दिए। उन्होंने लिखा कि मई और जून के दौरान शी जिनपिंग दो हफ्तों तक सार्वजनिक रूप से नदारद रहे और विदेशी नेताओं का स्वागत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने किया। इस दौरान चीनी मीडिया में भी शी की मौजूदगी बेहद सीमित रही। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ हुई बैठक बिना किसी औपचारिकता और पारंपरिक शानोशौकत के हुई, जो असामान्य माना गया।
इसके अलावा, शी जिनपिंग के पिता के लिए बनाए गए स्मारक से उनका नाम हटाए जाने और उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा में कमी आने जैसी खबरों ने भी अटकलों को बल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हाल ही में हुई फोन वार्ता की चीनी मीडिया कवरेज में शी जिनपिंग का आधिकारिक शीर्षक हटा दिया गया था, जिसे बाद में सुधारा गया।
गौरतलब है कि चीन में राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया पार्टी के भीतर ही पूरी होती है। हर पांच साल में आयोजित होने वाली पार्टी कांग्रेस में महासचिव का चयन होता है, जिसे बाद में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में राष्ट्रपति नियुक्त किया जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया केवल औपचारिकता होती है।
शी जिनपिंग की अचानक और लंबी अनुपस्थिति ने चीन और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में उनकी स्थिति और पार्टी के भीतर घटनाक्रम वैश्विक राजनीति और बाजारों के लिए बेहद अहम साबित हो सकते हैं।