अमेरिकी वायुसेना के बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर मिशन पर रहस्य की परतें चढ़ती जा रही हैं। ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों पर हमले के बाद, एक बी-2 विमान का ठिकाना अज्ञात है, जबकि एक अन्य ने हवाई में आपात लैंडिंग की है। अमेरिकी वायुसेना की ओर से अब तक कोई स्पष्ट जानकारी न मिलने के कारण अटकलें तेज हो गई हैं।
ईरान पर हाई-प्रोफाइल हमला, सात बी-2 ने निभाई अहम भूमिका
21 जून को मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयर फ़ोर्स बेस से दो समूहों में बी-2 बॉम्बर्स रवाना हुए थे। एक समूह ने प्रशांत महासागर की ओर उड़ान भरी, जिसे मोड़ने वाले युद्धाभ्यास के रूप में देखा गया। दूसरा समूह, जिसमें सात बी-2 शामिल थे, पूर्व की ओर बढ़ा और ईरान के फ़ोर्डो और नतांज़ परमाणु स्थलों पर 14 GBU-57 बंकर-बस्टर बमों के साथ सटीक हमले किए। मिशन 37 घंटे लंबा था और सभी विमान सुरक्षित रूप से वापस लौट आए।
प्रशांत की ओर गया समूह: एक बी-2 अब तक लापता
दूसरे समूह की वापसी के बावजूद, पहले समूह के एक बी-2 बॉम्बर का कोई स्पष्ट विवरण सामने नहीं आया है। पूर्व पायलट डेविड मार्टिन द्वारा साझा किया गया एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक फंसे हुए बी-2 विमान को रनवे पर खड़ा देखा जा सकता है। इसके बाद रिपोर्ट सामने आई कि एक बी-2 ने हवाई के डैनियल के. इनौये अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग की है।
यह एयरपोर्ट हिकम एयर फ़ोर्स बेस के रनवे के साथ साझा किया जाता है। विमान ने कॉलसाइन “MYTEE 14” का उपयोग किया और अज्ञात तकनीकी आपात स्थिति के चलते डायवर्ट किया गया। फिलहाल यह विमान वहीं ग्राउंडेड है।
वायुसेना की चुप्पी ने रहस्य को और गहराया
‘द वॉर ज़ोन’ वेबसाइट को दिए बयान में एयर फ़ोर्स ग्लोबल स्ट्राइक कमांड के प्रवक्ता चार्ल्स हॉफ़मैन ने कहा, “हम सेना, विमान की मूवमेंट, तैनाती या संचालन पर टिप्पणी नहीं करते।” यह स्टैंडर्ड बयान इस घटनाक्रम पर कोई स्पष्टता नहीं देता, जिससे स्थिति और संदिग्ध हो गई है।
बी-2 की रणनीतिक अहमियत और पहले की घटनाएं
बी-2 स्पिरिट बॉम्बर अमेरिकी सामरिक रक्षा तंत्र का एक अहम हिस्सा है, जिसकी प्रत्येक यूनिट की कीमत \$2 बिलियन से अधिक है। वर्तमान में केवल 19 बी-2 विमानों की सेवा में मौजूदगी, इसकी रणनीतिक और तकनीकी महत्ता को दर्शाती है। अप्रैल 2023 में भी एक बी-2 ने हवाई में आपात लैंडिंग की थी।
बी-2 की हालिया गतिविधियों और अमेरिकी वायुसेना की गोपनीयता ने सुरक्षा विशेषज्ञों और मीडिया में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह तकनीकी खराबी भर है या किसी बड़े कूटनीतिक घटनाक्रम का संकेत? जब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं होती, यह मामला गहरे रहस्य से घिरा रहेगा।