कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कानूनी परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अब सिख समुदाय पर दिए एक पुराने बयान को लेकर उनके खिलाफ वाराणसी की अदालत में 9 जुलाई को सुनवाई होने वाली है। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर एक विवादास्पद बयान देकर सियासी हलकों में हलचल मचा दी है।

प्रियांक खड़गे ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि “देश में नफरत कौन फैला रहा है, कौन सांप्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार है, और कौन संविधान बदलने की बात कर रहा है—यह सबको पता है। सत्ता में आने के बाद हम कानूनी प्रक्रिया के तहत RSS को देश में प्रतिबंधित करेंगे।” उनके इस बयान से बीजेपी भड़क गई है और कांग्रेस पर राष्ट्रविरोधी एजेंडा चलाने का आरोप लगाया है।

यह बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस पहले से ही कई राजनीतिक और कानूनी चुनौतियों का सामना कर रही है। राहुल गांधी पर विभिन्न अदालतों में कई मुकदमे चल रहे हैं और वह लगातार RSS की आलोचना करते रहे हैं, उन पर देश को बांटने और नफरत फैलाने के आरोप भी लगा चुके हैं। अब प्रियांक खड़गे के बैन की मांग ने इस बहस को एक नई दिशा दे दी है।

वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस विधायक नाना पटोले द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई एक टिप्पणी ने भी विवाद खड़ा कर दिया। बीजेपी विधायकों ने इसे प्रधानमंत्री का अपमान बताया और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने नाना पटोले को निलंबित कर दिया, जिसके विरोध में कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष सदन से वॉकआउट कर गया।

इन घटनाओं ने कांग्रेस पार्टी की रणनीति और आंतरिक समन्वय पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर राहुल गांधी खुद कानूनी मोर्चे पर जूझ रहे हैं, वहीं पार्टी के अन्य नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जो पार्टी की छवि को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।

प्रियांक खड़गे के बयान से शुरू हुआ यह विवाद कांग्रेस के लिए एक और राजनीतिक चुनौती बनता दिख रहा है। अब देखना होगा कि पार्टी नेतृत्व इस बयान से कैसे निपटता है और आगामी 9 जुलाई की सुनवाई में राहुल गांधी को कोर्ट से कोई राहत मिलती है या नहीं।