सम्मेलन में तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “अगर बिहार में हमारी सरकार बनती है तो वक्फ संशोधन बिल को कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि यह कानून अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ है और इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना है। तेजस्वी यादव ने यह भी कहा, “यह देश किसी के बाप की जागीर नहीं है, और हम मुसलमानों के हक के लिए आखिरी दम तक लड़ेंगे।”
सलमान खुर्शीद ने भी अपने भाषण में वक्फ संशोधन विधेयक की आलोचना की और इसे संविधान की भावना के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि इस कानून से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर संकट खड़ा हो जाएगा।
सम्मेलन में AIMIM के नेताओं सहित बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। आयोजकों ने इसे एक “संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का मंच” बताया, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों पर केंद्र सरकार के कथित हस्तक्षेप का विरोध करना है।
हालांकि, इस आयोजन को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रैली सिर्फ वक्फ संशोधन कानून के विरोध तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसके ज़रिए विपक्षी दलों ने मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कोशिश की है। मंच से दिए गए भाषणों में राजनीतिक लहजा और चुनावी संदर्भ स्पष्ट रूप से देखने को मिले।
वक्फ कानून को लेकर विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों की यह एकजुटता संकेत देती है कि आने वाले समय में इस मुद्दे पर और बड़े विरोध-प्रदर्शन हो सकते हैं। इस सम्मेलन के जरिए विपक्ष ने आगामी चुनावों से पहले अल्पसंख्यक समुदाय के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश की है।