CJI गवई की आंखें नम
एक याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में देशभर में वक्फ संपत्तियों की स्थिति और कथित अतिक्रमण का जिक्र करते हुए उन लोगों की दुर्दशा की बात की, जो अपनी जमीन से बेदखल कर दिए गए। इस भावनात्मक विवरण को सुनते हुए न्यायमूर्ति गवई स्पष्ट रूप से भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “हम यहां संविधान की रक्षा के लिए हैं… अगर किसी के साथ अन्याय हुआ है, तो उसे न्याय मिलना चाहिए।”
वक्फ कानून के तहत 4.8 लाख संपत्तियां विवाद में
भारत में वक्फ बोर्ड के अंतर्गत 4.8 लाख से अधिक संपत्तियां पंजीकृत हैं, जिनमें से कई पर निजी मालिकों और संस्थाओं के दावे हैं। हाल ही में सामने आए सरकारी आंकड़ों और कानूनी चुनौतियों ने इन संपत्तियों की वैधता पर सवाल खड़े किए हैं। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि वक्फ एक्ट में ऐसे प्रावधान हैं जो बिना सुनवाई के संपत्ति को वक्फ घोषित करने की अनुमति देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल और सिंघवी की दलीलें
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ एक्ट के पक्ष में दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा करता है। लेकिन कोर्ट ने पूछा कि क्या वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर दावे का अधिकार है, और क्या इससे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता?
सड़क पर विरोध में उतरा वक्फ समर्थक वर्ग
सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच पटना और हैदराबाद सहित कई शहरों में वक्फ समर्थक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों में वक्फ कानून को अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़ते हुए सरकार और याचिकाकर्ताओं पर भेदभाव के आरोप लगाए गए।
वक्फ एक्ट और उससे जुड़ी संपत्तियों को लेकर कानूनी और सामाजिक विवाद अब सर्वोच्च न्यायालय के दरवाज़े पर पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले का असर न सिर्फ लाखों संपत्तियों पर पड़ेगा, बल्कि देश में अल्पसंख्यक अधिकारों और निजी संपत्ति के बीच संतुलन को भी परिभाषित करेगा।