भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर जारी तनाव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की हालिया रणनीतिक सक्रियता ने चीन पर कूटनीतिक दबाव बढ़ा दिया है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से मुलाकात कर LAC पर भारत की स्थिति स्पष्ट की। इस दौरान भारत ने सीमा पर यथास्थिति बहाल करने की मांग को फिर दोहराया।

राजनाथ सिंह की यह मुलाकात चीन की राजधानी बीजिंग में हुई, जहां उन्होंने डोंग जून से द्विपक्षीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय रक्षा मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति और स्थिरता भारत-चीन संबंधों का मूल आधार है, और यह तभी संभव है जब सीमावर्ती क्षेत्रों में सभी विवादों को शांतिपूर्ण बातचीत से सुलझाया जाए।

इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी अलग मोर्चे पर सक्रिय रहे। उन्होंने हाल ही में हुई ब्रिक्स सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने चीन की विस्तारवादी नीतियों और आतंकवाद के समर्थन पर अप्रत्यक्ष रूप से चिंता जताई। डोभाल ने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी प्रकार की क्षेत्रीय संप्रभुता पर अतिक्रमण को स्वीकार नहीं करेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, डोभाल और राजनाथ सिंह की इन उच्च स्तरीय बैठकों ने चीन को स्पष्ट संकेत दिया है कि भारत अब पुराने ढर्रे पर चलने वाला नहीं है और हर स्तर पर अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार है। सूत्रों की मानें तो यह पहला मौका था जब भारतीय नेतृत्व ने चीन की धरती पर इतनी स्पष्टता और मजबूती से अपना पक्ष रखा।

भारत की इस रणनीति का असर भी दिखा है। चीन के मीडिया में इस बैठक की रिपोर्टिंग सीमित रही, जबकि भारतीय पक्ष ने इसे पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत किया। राजनाथ सिंह के बयान को लेकर चीन की प्रतिक्रिया अब तक सतर्क रही है, जिससे संकेत मिलता है कि भारत की ओर से दिया गया सख्त संदेश असर कर रहा है।

भारत ने राजनाथ सिंह और अजित डोभाल के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया है कि LAC पर स्थिति को लेकर अब कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। आने वाले दिनों में इस रणनीतिक दबाव का असर दोनों देशों के संबंधों और सीमा पर स्थिति पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा।