इजरायल को लेकर अमेरिका की रणनीति दरअसल ईरान में उसके गुप्त हितों से जुड़ी है। अब एक के बाद एक रिपोर्ट्स इस बात को साबित कर रही हैं कि अमेरिका ने असल में इजरायल के लहू का सौदा कर लिया है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प ने ईरान पर अमेरिकी सैन्य कार्रवाई को मंजूरी दे दी है, लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची जल्द ही ट्रम्प से सीजफायर पर बातचीत के लिए मुलाकात कर सकते हैं।
इस बीच जेरूशलम पोस्ट की एक रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया कि अमेरिका और ईरान के बीच एक गुप्त डील लगभग तय हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर इजरायल ईरान पर हमला बंद करता है, तो ईरान अमेरिका के साथ वार्ता के लिए तैयार है। साथ ही इसमें यह भी बताया गया कि कतर ने अमेरिका पर ईरानी हितों को लेकर भारी दबाव बनाया है और ट्रम्प को एक लग्जरी विमान बतौर “गिफ्ट” भी दिया है, जिसे घूस के रूप में देखा जा रहा है।
ट्रम्प की कन्फ्यूजन, सेना और सरकार के बीच मतभेद
अमेरिका में ईरान के मुद्दे पर भारी असमंजस है। अमेरिकी सेना और सरकार के रुख में अंतर दिख रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सेंट्रल कमांड के जनरल माइकल कुरिल्ला ने ट्रम्प से मुलाकात कर ईरान पर सैन्य विकल्पों पर चर्चा की है। वहीं, अमेरिकी संसद में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसदों का बड़ा वर्ग नहीं चाहता कि अमेरिका ईरान के खिलाफ इजरायली अभियान में शामिल हो।
इस वक्त इजरायल सात दिनों से ईरान से जूझ रहा है और अमेरिका अभी तक उससे जुड़ा नहीं है। बस सीमावर्ती बेस से इंटेल मुहैया करवा रहा है। इस रवैये से दुनियाभर के यहूदी समुदाय में रोष है। अमेरिका में यहूदी कारोबारी और आम लोग भी इजरायल के समर्थन में हैं, जिससे ट्रम्प पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
अब अमेरिका के पास दो योजनाएं हैं—एक खामनेई के साथ और दूसरी उसके बिना। दोनों ही योजनाएं शिया-सुन्नी खाई को और गहरा करने पर आधारित हैं, जिससे अमेरिका की जियो-पॉलिटिकल हैसियत बनी रहे। मगर इजरायल इसके खिलाफ है। आने वाले दो दिन निर्णायक हो सकते हैं। अगर अमेरिका पीछे हटा तो इजरायल परमाणु विकल्प अपना सकता है। ये मानवता के लिए बेहद खतरनाक होगा।