अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक उच्च स्तरीय कूटनीतिक कदम के तहत पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर के साथ व्हाइट हाउस में बंद कमरे में लंच मीटिंग की। वॉशिंगटन स्थित शीर्ष कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, यह मुलाकात केवल औपचारिक नहीं थी, बल्कि ट्रंप ने क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बदलने के इरादे से कई अहम मांगें और बड़े प्रस्ताव रखे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वार्ता 9/11 के बाद बनी यूएस-पाकिस्तान रणनीतिक साझेदारी के बाद सबसे बड़ा मोड़ हो सकती है। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से इन मांगों और प्रस्तावों पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान से बिना शर्त सैन्य और रणनीतिक समर्थन मांगा है। एक वरिष्ठ कूटनीतिक सूत्र ने बताया, “अगर अमेरिका ईरान से युद्ध करता है, तो हमें पाकिस्तान को अपने पक्ष में चाहिए।” इस समर्थन में अमेरिकी सेना को एयरबेस, ग्राउंड लॉजिस्टिक्स और समुद्री रास्तों तक पहुंच शामिल है—यानी पाकिस्तान किसी भी संभावित युद्धक्षेत्र में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। ट्रंप ने लंच के बाद कहा, “पाकिस्तान ईरान को अच्छी तरह जानता है। वे वहां की स्थिति से खुश नहीं हैं। उनका इजरायल से भी खराब रिश्ता नहीं है। वे दोनों पक्षों को समझते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुनीर इस पूरी स्थिति की गंभीरता को समझते हैं।
चीन-रूस से दूरी और बदले में रक्षा तकनीक की पेशकश
इस मुलाकात का एक अहम संदेश था: चीन और रूस से दूरी बनाए रखना। ट्रंप ने reportedly मुनीर से कहा कि पाकिस्तान को ब्रिक्स जैसे पूर्वी गुटों से दूर रहना चाहिए और फिर से अमेरिका-नेतृत्व वाले सुरक्षा ढांचे का हिस्सा बनना चाहिए। एक प्रशासन से जुड़े सूत्र ने कहा, “हम अपने पुराने साथी को वापस चाहते हैं,” यह स्पष्ट करते हुए कि वॉशिंगटन पाकिस्तान को चीन-रूस के प्रभाव क्षेत्र में जाने से रोकना चाहता है।
बदले में, ट्रंप ने पाकिस्तान को अमेरिकी रक्षा तकनीक तक अभूतपूर्व पहुंच देने का वादा किया—जिसमें 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ जेट्स और अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम शामिल हैं। यह प्रस्ताव चीन पर पाकिस्तान की सैन्य निर्भरता को कम करने की कोशिश है, खासतौर पर ऐसे समय में जब पाकिस्तान इस साल के अंत तक चीनी जे-35ए लड़ाकू विमान और एयर डिफेंस सिस्टम प्राप्त करने की तैयारी में है। ट्रंप ने सुरक्षा और व्यापार समझौते की भी पेशकश की, जिसमें अमेरिका-पाकिस्तान के बीच एक नई आतंकवाद-रोधी साझेदारी का संकेत दिया गया।