कांग्रेस पार्टी इन दिनों गहरे राजनीतिक और सांगठनिक संकट से जूझ रही है। जहां एक ओर आंतरिक गुटबाजी पार्टी की साख पर असर डाल रही है, वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी के बयानों से राजनीतिक माहौल और गर्म हो गया है। हरियाणा से लेकर बिहार तक कांग्रेस के भीतर असहमति की तस्वीरें खुलकर सामने आ रही हैं। ऐसे माहौल में राहुल गांधी का एक ट्वीट फिर चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कुंभ मेले की भगदड़ में हुई मौतों के आंकड़े छिपाने का आरोप केंद्र सरकार पर लगाया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर आक्रामक हो गई है और 14 जून को चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी में है।
हरियाणा और बिहार में पार्टी की फूट
हरियाणा के भिवानी में कांग्रेस की बैठक के दौरान AICC सचिव की मौजूदगी में ही पार्टी कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। न अनुशासन नजर आया और न ही संगठन की कोई स्पष्ट दिशा। यह झगड़ा पार्टी के अंदर गहराते अविश्वास को साफ तौर पर दिखाता है। इसी तरह बिहार की राजधानी पटना में महागठबंधन की बैठक में कांग्रेस के सहयोगी दलों ने उसके रुख पर नाराजगी जताई। सीटों को लेकर मतभेद और चुनावी रणनीति में स्पष्टता की कमी से कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती दिख रही है।
राहुल गांधी का मोदी सरकार पर बड़ा हमला
इस बीच राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने विदेशी मीडिया की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि कुंभ मेले की भगदड़ में मरने वालों के आंकड़े छुपाए गए। राहुल ने ट्वीट किया कि जैसे कोविड के दौरान गरीबों की लाशों को आंकड़ों से मिटा दिया गया था, वैसे ही अब भी सच्चाई छिपाई जा रही है। उन्होंने लिखा, “यही है बीजेपी मॉडल – गरीबों की गिनती नहीं, तो जिम्मेदारी भी नहीं।”
कांग्रेस इस रिपोर्ट को लेकर बीजेपी पर हमलावर है और इसे लेकर 14 जून को चुनाव आयोग के सामने विरोध प्रदर्शन करेगी। पार्टी का आरोप है कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में धांधली के आरोपों को भी दबाया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस अपने राजनीतिक एजेंडे को धार देने की कोशिश में जुट गई है, लेकिन उसके अंदरूनी हालात खुद एक बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं।