महाराष्ट्र में इस समय राजनीति, नीतियों और आम जनता की चुनौतियों का मिला-जुला संग्राम देखने को मिल रहा है। स्थानीय निकाय चुनावों से पहले जहां सियासी दलों की गतिविधियां तेज़ हो गई हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार के नए शराब टैक्स ने आम लोगों की जेब पर सीधा असर डाला है। साथ ही चंद्रपुर में बाघों के बढ़ते हमलों ने ग्रामीणों के लिए एक नया संकट खड़ा कर दिया है। इन सभी घटनाक्रमों ने राज्य को एक जटिल मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां सियासत, नीतियां और सुरक्षा सभी सवालों के घेरे में हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अकोला में स्पष्ट किया कि स्थानीय निकाय चुनाव महायुति के तहत ही लड़े जाएंगे, लेकिन जहां सहमति नहीं बन पाएगी, वहां ‘फ्रेंडली फाइट’ होगी। यह बयान ऐसे समय आया है जब सभी प्रमुख दल अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। राज्य चुनाव आयोग अक्टूबर में तीन चरणों में मतदान कराने की योजना पर काम कर रहा है। पहले चरण में उत्तर और दक्षिण महाराष्ट्र, दूसरे में विदर्भ, पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा और तीसरे चरण में मुंबई और कोकण को शामिल किया गया है।
सरकार का शराब पर टैक्स बढ़ाने का फैसला
शराब पर बढ़े उत्पाद शुल्क ने आम और खास दोनों को प्रभावित किया है। महाराष्ट्र सरकार ने आबकारी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए भारत में निर्मित अंग्रेजी शराब पर टैक्स लागत मूल्य से 4.5 गुना तक बढ़ा दिया है। देसी शराब पर भी शुल्क बढ़ा है और अब एक नई कैटेगरी ‘महाराष्ट्र निर्मित शराब’ (MML) भी शामिल की गई है, जो देसी और अंग्रेजी के बीच की रेंज मं रखी गई है। इसके चलते देसी शराब की कीमत 60 रुपये से बढ़कर 80 रुपये हो गई है, जबकि अंग्रेजी शराब की कीमत 130 रुपये से 205 रुपये तक पहुंच गई है। सरकार को इससे 14,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है, लेकिन व्यापारियों को इससे तस्करी बढ़ने का डर सता रहा है।
बाघों का आतंक बना ग्रामीणों के लिए खतरा
चंद्रपुर जिले में बाघों की संख्या भले ही वन्यजीव संरक्षण की सफलता दर्शाती हो, लेकिन ग्रामीणों के लिए यह जान का खतरा बन गई है। मई 2025 में ही बाघों के हमलों में 12 लोगों की मौत हो चुकी है। 2021 से अब तक 150 से अधिक लोग इन हमलों का शिकार बन चुके हैं। गर्मियों में तेंदूपत्ता तोड़ने जंगलों में जाने वाले ग्रामीणों की जान पर हमेशा खतरा बना रहता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 10,000 से अधिक मवेशी भी बाघों के हमलों में मारे गए हैं और राज्य सरकार ने 122 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवज़ा भी जारी किया है। बावजूद इसके, लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है।
राज्य में आने वाले कुछ महीनों में क्या राजनीतिक समीकरण बनेंगे और सरकार आम जनता की इन जमीनी परेशानियों से कैसे निपटेगी, यह देखने वाली बात होगी।