विपक्षी दलों का INDIA गठबंधन अब लड़खड़ाता नजर आ रहा है। एक ओर जहां राहुल गांधी बिहार दौरे पर सक्रिय दिखे, वहीं उनके साथ गठबंधन सहयोगी तेजस्वी यादव कहीं नजर नहीं आए। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने स्पष्ट रूप से कांग्रेस से दूरी बना ली है और तीसरे मोर्चे की बात छेड़ दी है। विपक्ष अब खुद के भीतर ही उलझा दिखाई देता है, और ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या विपक्ष अपनी ही अंदरूनी खींचतान से उबर पाएगा?
तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट
आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने हाल ही में बयान दिया कि विपक्ष को अब कांग्रेस से हटकर विकल्प तलाशने की जरूरत है। इस बयान ने विपक्ष के भीतर तीसरे मोर्चे की संभावना को नया बल दे दिया है। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और के. चंद्रशेखर राव जैसे नेता पहले ही गठबंधन को लेकर संशय जता चुके हैं। अब आतिशी के इस बयान ने कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर उठते सवालों को और तेज कर दिया है।
बिहार में दिखी दरार की झलक
राहुल गांधी जब हाल ही में बिहार के दौरे पर गए, तो राजद नेता तेजस्वी यादव नदारद रहे। यह एक स्पष्ट संकेत था कि गठबंधन के प्रमुख दलों के बीच आपसी समन्वय में दरार आ चुकी है। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए विपक्ष को एकजुट दिखना चाहिए था, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है।
INDIA गठबंधन कभी नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनने का दावा करता था, लेकिन आज वह खुद ही दिशाहीन नजर आ रहा है। एक ओर जहां कुछ दल ‘एकला चलो’ की राह पर हैं, वहीं बाकी दल इस गठबंधन की प्रासंगिकता पर ही सवाल उठा रहे हैं।
क्या विपक्ष अपने अंतर्विरोधों से उबर पाएगा या फिर तीसरे मोर्चे की राजनीति ही उसका नया ठिकाना बनेगी? यह तय करना अभी बाकी है, लेकिन संकेत साफ हैं — विपक्ष फिलहाल खुद में उलझा हुआ है।