आज बकरीद से लेकर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था, सीएम योगी आदित्यनाथ की हुंकार और मायावती की राजनीतिक रणनीति तक की बड़ी खबरें हम आपके लिए लेकर आए हैं। बकरीद से पहले यूपी में धार्मिक भावनाओं को लेकर विवाद का माहौल बनता दिख रहा है, वहीं संभल में पुलिस की बड़ी कार्रवाई ने अपराधियों में खलबली मचा दी है। सीएम योगी ने अयोध्या से समाजवादी सरकार की नीतियों पर निशाना साधा, तो वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने चुनाव आयोग से नई उम्मीदें जताई हैं।

बकरीद को लेकर सख्ती और बयानबाज़ी

उत्तर प्रदेश में बकरीद से पहले माहौल गर्म है। सरकार लगातार गाइडलाइंस जारी कर रही है ताकि त्योहार सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाया जा सके। सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कुर्बानी केवल तय स्थलों पर हो और किसी भी प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सड़क पर नमाज की अनुमति नहीं दी जाएगी और नई परंपराओं को जगह नहीं मिलेगी। मुख्यमंत्री का संदेश साफ है—कानून तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

वहीं RSS की ओर से भी बयान आया है कि जो लोग कुर्बानी का विरोध कर रहे हैं उन्हें केवल बकरीद पर ही नहीं, सालभर बीफ निर्यात और पशु क्रूरता के खिलाफ आंदोलन करना चाहिए। RSS का यह बयान इस विवाद को एक नया आयाम देता है।

संभल में गैंगस्टर और बीमा घोटाले पर पुलिस का एक्शन

संभल में एक ही गैंग के 33 लोगों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया है। यह गिरोह कई शहरों से ट्रैक्टर चोरी कर उनके पार्ट्स अलग-अलग बेचता था, साथ ही ट्रैक्टर इंजन से जेनरेटर बनाकर नकली ब्रांड लगाकर बाजार में बेचता था। पुलिस ने गैंग के सरगना समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, 23 की तलाश जारी है।

इसी के साथ संभल में 100 करोड़ के बीमा घोटाले का भी खुलासा हुआ है। बीमा राशि हड़पने के लिए बीमित लोगों की हत्या कराई गई। पुलिस ने अब तक 52 लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि 50 से ज्यादा आरोपी फरार हैं। यह मामला भी राज्य में संगठित अपराध के खतरनाक पहलू को उजागर करता है।

सीएम योगी ने अयोध्या से समाजवादी पार्टी पर हमला बोलते हुए 1990 के कारसेवक गोलीकांड को याद दिलाया और कहा कि अब प्रदेश रामराज्य की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने जनता से सावधान रहने की अपील की।

वहीं, बसपा प्रमुख मायावती चुनावी मैदान में खुद को साबित करने की जद्दोजहद में लगी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य पार्टियां दलित वोटों को बांटने के लिए नए संगठन खड़े कर रही हैं और ईवीएम में गड़बड़ी कराई जा रही है। अब उनकी सारी उम्मीदें चुनाव आयोग से जुड़ी हैं, जिससे उन्हें उम्मीद है कि ईवीएम को हटाने का निर्णय लिया जाएगा।