सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर क्यूआर कोड और पहचान पत्र प्रदर्शित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है, जिससे राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मौजूदा आदेशों में किसी प्रकार का अंतरिम हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
यह मामला तब सामने आया जब सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद अपूर्वानंद तथा मानवाधिकार कार्यकर्ता आकार पटेल ने उत्तर प्रदेश सरकार की उस अधिसूचना को चुनौती दी, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी ढाबों, होटलों और दुकानों को अपने वैध लाइसेंस और पहचान प्रमाण के साथ QR कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह आदेश लक्षित वर्ग के प्रति भेदभाव को जन्म देता है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि सरकार द्वारा जारी निर्देश सार्वजनिक सुरक्षा और प्रशासनिक निगरानी के उद्देश्य से दिए गए हैं और फिलहाल इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने का समय दिया है, लेकिन किसी भी अंतरिम रोक से इनकार किया।
क्या है सरकार का आदेश?
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा और निगरानी बढ़ाने के लिए QR कोड प्रणाली लागू की थी। इसके तहत यात्रा मार्ग पर मौजूद दुकानों, होटलों और ढाबों को न केवल अपना वैध पंजीकरण दिखाना था, बल्कि QR कोड लगाकर अपनी डिजिटल उपस्थिति दर्ज करानी थी। सरकार का उद्देश्य इस आदेश के माध्यम से संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना और यात्रा के दौरान किसी भी तरह की अव्यवस्था को रोकना था।
क्या बोले पक्ष और विपक्ष?
सरकार ने इस आदेश को सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा जरूरी कदम बताया, जबकि याचिकाकर्ताओं ने इसे धार्मिक पहचान के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया। कोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में भी इस पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि यह फैसला अब अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकता है, जहां धार्मिक आयोजनों के दौरान सुरक्षा को लेकर प्रशासन कदम उठाता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश सरकार को कानूनी समर्थन मिला है और कांवड़ यात्रा को लेकर जारी प्रशासनिक तैयारी को बल मिला है। आगामी सुनवाई में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, लेकिन फिलहाल QR कोड लागू रखने की अनुमति से यात्रा मार्ग पर प्रशासन को निगरानी बरकरार रखने में सहायता मिलेगी।