कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने 15 जुलाई को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। यह बैठक उनके आवास 10 जनपथ पर आयोजित हो रही है और इसकी अध्यक्षता स्वयं सोनिया गांधी करेंगी। बैठक ऐसे समय पर बुलाई गई है जब कांग्रेस पार्टी आंतरिक असंतोष और राज्यों में नेतृत्व संकट से जूझ रही है, साथ ही संसद का मानसून सत्र भी नजदीक है।

बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला और अन्य प्रमुख नेता शामिल होंगे। सूत्रों के मुताबिक, बैठक का एजेंडा संसद के आगामी मानसून सत्र (21 जुलाई से 21 अगस्त) की रणनीति तय करना है, लेकिन इसके साथ-साथ पार्टी की आंतरिक स्थिति पर भी चर्चा की जाएगी।

राज्यों में बढ़ती चुनौती और नेतृत्व पर सवाल

कांग्रेस इस समय कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल और बिहार जैसे प्रमुख राज्यों में संगठनात्मक और नेतृत्व संबंधी संकट से गुजर रही है। कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच खींचतान लगातार बढ़ रही है। इस विवाद को सुलझाने के प्रयासों में मल्लिकार्जुन खड़गे और रणदीप सुरजेवाला को अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।

वहीं राहुल गांधी की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सक्रिय हस्तक्षेप से परहेज किया, जिससे नेतृत्व पर उनकी पकड़ को लेकर पार्टी के भीतर चर्चा शुरू हो गई है।

संसद सत्र के लिए विपक्ष की रणनीति

कांग्रेस का दावा है कि बैठक का प्रमुख उद्देश्य संसद के मानसून सत्र में सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की रणनीति बनाना है। विपक्ष के एजेंडे में महंगाई, बेरोजगारी, हालिया विदेश नीति विवाद और आंतरिक सुरक्षा जैसे विषय प्रमुख होंगे। हालांकि, पार्टी को इस बार खुद राहुल गांधी के कथित चीन-पाक समर्थक बयानों को लेकर भी जवाबदेही झेलनी पड़ सकती है, जिससे सत्र के दौरान कांग्रेस पर पलटवार की संभावना बढ़ गई है।

क्या सोनिया गांधी संभालेंगी मोर्चा?

इस बैठक को सोनिया गांधी की सक्रिय भूमिका में वापसी के तौर पर भी देखा जा रहा है। राहुल गांधी की रणनीतिक चूक और राज्यों में बढ़ते असंतोष के बीच सोनिया गांधी नेतृत्व संभालती नजर आ रही हैं। अब निगाहें इस बात पर हैं कि कांग्रेस इस बैठक में क्या स्पष्ट दिशा तय कर पाती है, और क्या वह संसद सत्र में सशक्त विपक्ष के रूप में सामने आ पाएगी।

आंतरिक असंतुलन और बाहरी राजनीतिक दबाव के बीच कांग्रेस की यह बैठक पार्टी के भविष्य की दिशा तय करने में अहम साबित हो सकती है।