पाकिस्तान की हालत ऐसी हो गई है कि वो खुद को संभाल भी नहीं पा रहा, लेकिन भारत से डरकर हथियारों की होड़ में लगा है। एक तरफ देश की जनता महंगाई से परेशान है, खाने-पीने की चीज़ों तक की कीमतें आसमान छू रही हैं, तो दूसरी ओर पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने अपने नए बजट में रक्षा खर्च में 20% बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। यही नहीं, अमेरिका से रिश्ते सुधारने की कोशिश में सेना प्रमुख आसिम मुनीर को वॉशिंगटन आमंत्रित किया गया है। इस बीच भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर और आतंक के खिलाफ सख्त कदम पाकिस्तान की बेचैनी और बढ़ा रहे हैं।
बजट में हथियारों को तरजीह
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद गंभीर है। देश का कर्ज़ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। IMF, चीन और सऊदी अरब जैसे देशों से मदद की गुहार लगाई जा रही है। लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान अपने रक्षा बजट में 20% की बढ़ोतरी कर रहा है। इस फैसले ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान की प्राथमिकता अपनी जनता नहीं, बल्कि हथियार हैं। आर्थिक तंगी और जनता की जरूरतों को नज़रअंदाज़ कर सिर्फ सेना और सुरक्षा एजेंसियों के बजट में इजाफा करना ये दिखाता है कि पाकिस्तान अभी भी भारत को लेकर अपने रवैये में कोई बदलाव नहीं लाना चाहता।
भारत की चेतावनी और अंतरराष्ट्रीय संदेश
भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई के संकेत लगातार मिल रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से लगातार उच्चस्तरीय बैठकें हो रही हैं और देश के शीर्ष नेता पाकिस्तान को खुली चेतावनी दे रहे हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को ‘टेररिस्तान’ कहकर वैश्विक मंच पर उसे कठघरे में खड़ा कर दिया। यह बयान बताता है कि भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ बातचीत नहीं, ठोस कार्रवाई के मूड में है।
ऐसे हालात में जब पाकिस्तान दुनिया भर में आर्थिक मदद के लिए हाथ फैला रहा है, उसके सैन्य प्रमुख को अमेरिका में आमंत्रित किया जाना भी एक अहम राजनीतिक संकेत माना जा रहा है। वहीं भारत की रणनीतिक और सैन्य तैयारी पाकिस्तान के लिए एक बड़ा संदेश है कि आतंक के खिलाफ अब भारत किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगा।