पाकिस्तान में हाल ही में हुई उच्चस्तरीय बैठकों और राजनीतिक हलचलों ने एक बार फिर सत्ता के समीकरणों को लेकर अटकलों को हवा दे दी है। मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों के हवाले से यह चर्चा ज़ोर पकड़ रही है कि पाकिस्तान के मौजूदा सेना प्रमुख और फील्ड मार्शल आसीम मुनीर राष्ट्रपति पद की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। इस संभावित बदलाव के बीच राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के इस्तीफे की अटकलें भी तेज हो गई हैं।

हालांकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि “जरदारी को हटाने की कोई योजना नहीं है,” लेकिन पाकिस्तान की राजनीतिक परंपराओं को देखते हुए इसे सिर्फ औपचारिक खंडन माना जा रहा है। अतीत में कई बार ऐसे खंडन बड़े बदलावों से पहले देखे जा चुके हैं।

फील्ड मार्शल और राष्ट्रपति पद की कड़ी

जनरल आसीम मुनीर को हाल ही में फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी, जो आमतौर पर पाकिस्तान में सैन्य ताकत के शिखर का संकेत होता है। देश के इतिहास में फील्ड मार्शल पद पर आसीन होने के बाद नेताओं ने अक्सर राजनीति में भी सीधा हस्तक्षेप किया है — मसलन जनरल अय्यूब खान और जनरल जिया-उल-हक। ऐसे में आसीम मुनीर की बढ़ती सक्रियता को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान एक बार फिर सैन्य-नियंत्रित राजनीतिक बदलाव की ओर बढ़ रहा है।

जरदारी की भूमिका पर सस्पेंस

राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, जो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख नेता हैं, उन्होंने अभी तक किसी सार्वजनिक बयान में इस्तीफे या दबाव की बात नहीं कही है। लेकिन सत्ता के गलियारों में उनकी भूमिका को लेकर चर्चा बनी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर आसीम मुनीर राष्ट्रपति बनते हैं, तो इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख और भी कमजोर होगी।

शहबाज शरीफ की स्थिति कमजोर

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “सरकार और सेना के बीच कोई टकराव नहीं है।” लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि उनकी स्थिति दिन-ब-दिन कमजोर हो रही है और वे सेना के बढ़ते दबाव के सामने सीमित विकल्पों के साथ खड़े हैं।

पाकिस्तान में सत्ता के गलियारों में चल रही हलचलों से यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हो सकता है। अगर आसीम मुनीर वाकई राष्ट्रपति बनने की ओर बढ़ते हैं, तो यह पाकिस्तान के लोकतंत्र के लिए एक और अहम मोड़ साबित हो सकता है। स्थिति पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, और अगले कुछ सप्ताह पाकिस्तान की राजनीतिक दिशा तय कर सकते हैं।