संसद के मानसून सत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बहस ने जोर पकड़ लिया है। सोमवार को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर विपक्ष को करारा जवाब दिया, जबकि मंगलवार से राज्यसभा में भी इस विषय पर चर्चा शुरू हो गई है। इस बहस में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिल रहे हैं।

लोकसभा में अपने संबोधन में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर भारत की जवाबी क्षमता का प्रमाण है।” उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के 8 एयरबेस पूरी तरह ध्वस्त कर दिए गए हैं और यह कार्रवाई पूरी तरह वैध और आवश्यक थी। उन्होंने कहा, “यह भारत की अखंडता, संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में किया गया एक निर्णायक कदम था।”

अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि विपक्ष पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, “जब पूरा देश आतंक के खिलाफ एकजुट है, तब कांग्रेस पाकिस्तान के समर्थन में खड़ी नजर आती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”

उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) का जिक्र करते हुए कहा, “अगर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ऐतिहासिक भूल न की होती, तो PoK की समस्या आज नहीं होती।” इसके साथ ही शाह ने समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि “कुछ नेता देश की सुरक्षा से ज्यादा वोट बैंक की राजनीति को प्राथमिकता देते हैं।”

राज्यसभा में मंगलवार को शुरू हुई चर्चा में भी सत्ता पक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की सैन्य ताकत और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया। वहीं, विपक्ष ने सवाल उठाया कि क्या इस ऑपरेशन के बाद सीमा पर हालात वास्तव में बेहतर हुए हैं और सरकार ने नागरिकों को समय पर सूचित क्यों नहीं किया।

संसद में जारी इस बहस से साफ है कि ऑपरेशन सिंदूर आने वाले समय में भारत की सुरक्षा नीति और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को लेकर केंद्रीय विषय बना रहेगा। अब निगाहें इस बात पर हैं कि विपक्षी दलों के नेताओं — खासकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों — की ओर से आगे क्या रणनीति अपनाई जाएगी।