बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 13 जुलाई को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर इस मामले में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ गंभीर आर्थिक अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई 2025 को होगी, जहां कोर्ट का रुख साफ हो सकता है।
नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) प्रकाशित करता था। अखबार का प्रकाशन 2008 में बंद हो गया और उसके बाद यह विवाद शुरू हुआ। ED के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को बिना ब्याज के 90.25 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। इस ऋण को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (वाईआईएल) को मात्र 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया।
वाईआईएल में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38% हिस्सेदारी है। ED का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए वाईआईएल ने एजेएल की 99% इक्विटी पर नियंत्रण हासिल कर लिया, जिससे उसे देशभर की महंगी अचल संपत्तियों पर अधिकार मिल गया।
ईडी का दावा और कार्रवाई
ED ने अपनी जांच में कहा है कि इस लेन-देन के जरिए लगभग 2000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई है। नवंबर 2023 में एजेंसी ने दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पंचकुला, पटना और इंदौर सहित विभिन्न शहरों में फैली 751.9 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया था। इन संपत्तियों में दिल्ली का हेराल्ड हाउस और मुंबई की नौ मंजिला इमारत प्रमुख हैं।
कोर्ट में अब तक की कार्रवाई
मामले की सुनवाई मई 2025 से चल रही है। विशेष जज विशाल गोगने ने ईडी को आरोपों पर और सबूत पेश करने का निर्देश दिया था। इसके बाद जुलाई में हुई सुनवाई में कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। अब सभी की नजरें 29 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
यदि कोर्ट ईडी के आरोपों को स्वीकार करता है, तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कानूनी परेशानियां बढ़ सकती हैं। वहीं, कांग्रेस इस पूरे मामले को राजनीतिक प्रतिशोध बता रही है। आने वाले दिनों में कोर्ट का फैसला न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बड़ा असर डाल सकता है।