प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर लगी, जो आने वाले मानसून सत्र और राजनीतिक घटनाक्रमों के लिहाज से बेहद अहम माने जा रहे हैं। बैठक का आयोजन ऐसे समय में हुआ है जब 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है, जिसमें सरकार 8 नए विधेयक पेश करने की तैयारी में है।
कैबिनेट बैठक के मुख्य बिंदु
बैठक में मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा की गई, जिसके आधार पर संभावित कैबिनेट फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार कर ली गई है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं देखा। परफॉर्मेंस के आधार पर कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है, जबकि कुछ नए चेहरों को सरकार में जगह मिलने की संभावना जताई जा रही है।
21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र
सरकार ने संसद के आगामी मानसून सत्र की रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया है। यह सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर करीब तीन सप्ताह तक चलेगा। इस दौरान केंद्र सरकार 8 नए विधेयक संसद में पेश करेगी। हालांकि इन विधेयकों की विषयवस्तु को लेकर आधिकारिक जानकारी अभी नहीं दी गई है, लेकिन माना जा रहा है कि इनमें आर्थिक सुधार, कृषि, और डिजिटल क्षेत्र से संबंधित अहम मुद्दे शामिल होंगे।
इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा कि 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से क्षेत्र में असंतोष बना हुआ है और वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पुनर्बहाली बेहद जरूरी है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर संसद में भी आवाज उठाने का ऐलान किया है।
क्या होने वाला है बड़ा फेरबदल?
कैबिनेट बैठक और मंत्रियों के मूल्यांकन की प्रक्रिया के बीच सियासी गलियारों में कैबिनेट फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में मिली जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी अब अपनी नई प्राथमिकताओं के अनुसार टीम में बदलाव कर सकते हैं।
मोदी सरकार की यह कैबिनेट बैठक आगामी मानसून सत्र और राजनीतिक रणनीतियों के लिहाज से बेहद निर्णायक साबित हो सकती है। मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट और संभावित फेरबदल पर सभी की नजरें टिकी हैं। वहीं, राहुल गांधी द्वारा उठाए गए जम्मू-कश्मीर के मुद्दे ने भी सियासी माहौल को गरमा दिया है। आगामी सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहसें होने की संभावना है।