तेहरान और यरुशलम के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई द्वारा इजरायल पर संभावित हमले के आदेश की अटकलों के बीच, क्षेत्र में हलचल तेज हो गई है। तेहरान में लगातार हो रहे धमाकों और सैन्य गतिविधियों ने मध्य पूर्व में एक नई जंग की आशंका को हवा दे दी है। इस तनाव के बीच रूस और चीन के ईरान को मिल रहे समर्थन ने हालात को और जटिल बना दिया है।

बीते कुछ हफ्तों में ईरान की राजधानी तेहरान में कई विस्फोटों की खबरें सामने आई हैं। इन धमाकों के पीछे किसका हाथ है, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इन घटनाओं ने सरकार और आम जनता दोनों के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ा दी है। ईरान की मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, देश की सैन्य तैयारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और किसी भी अप्रत्याशित हालात से निपटने के लिए विशेष बलों को तैनात किया गया है।

इस संकट के बीच रूस और चीन खुलकर ईरान के पक्ष में आ गए हैं। दोनों देशों ने अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की आलोचना करते हुए ईरान के ‘संप्रभु अधिकारों’ की रक्षा का समर्थन किया है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि ईरान-इजरायल के बीच संघर्ष शुरू होता है, तो यह एक क्षेत्रीय युद्ध में तब्दील हो सकता है जिसमें वैश्विक ताकतें भी अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकती हैं।

ईरान ने एक बार फिर अमेरिका को सख्त चेतावनी दी है कि अगर वाशिंगटन ने इजरायल का समर्थन किया या ईरान के खिलाफ कोई कदम उठाया, तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। ईरानी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि देश की सैन्य ताकत पूरी तरह तैयार है और किसी भी आक्रामक कार्रवाई का जवाब देने में देर नहीं करेगा।

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा हालात बेहद संवेदनशील हो चुके हैं और किसी भी छोटी सी चूक से बड़ा युद्ध छिड़ सकता है। इजरायल की सेना भी अपनी सीमाओं पर निगरानी बढ़ा चुकी है और अमेरिकी सेना को अलर्ट पर रखा गया है।

ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई किसी भी समय सैन्य कार्रवाई का आदेश दे सकते हैं, जिससे पश्चिम एशिया में एक बड़े संघर्ष की शुरुआत हो सकती है। फिलहाल कूटनीतिक प्रयास जारी हैं लेकिन जमीनी हालात तेजी से बिगड़ते नजर आ रहे हैं।

इस पूरे घटनाक्रम पर दुनियाभर की नजरें टिकी हुई हैं और आने वाले दिनों में मध्य पूर्व की स्थिति वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों पर असर डाल सकती है।