हिमंता बिस्वा सरमा सिर्फ असम के मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि देश के पूर्वोत्तर हिस्से की सुरक्षा और रणनीति को लेकर एक मजबूत चेहरा बनकर उभरे हैं। वह न सिर्फ राज्य की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए निर्णायक फैसले ले रहे हैं, बल्कि आतंकी नेटवर्क, कट्टरपंथी गतिविधियों और पड़ोसी देशों की चुनौतियों का भी सख्ती से जवाब दे रहे हैं। उनके एक्शन का असर सिर्फ राज्य तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति तक महसूस किया जा रहा है।

असम में जिहादी नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई

हिंदू देवी-देवताओं के अपमान और सांप्रदायिक पोस्ट के मामलों में असम पुलिस ने हाल ही में कई लोगों को गिरफ्तार किया है। सीएम हिमंता ने खुद जानकारी दी कि अब तक 92 ऐसे तत्वों को जेल भेजा जा चुका है। उन्होंने साफ किया कि भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। AIUDF विधायक अमीनुल इस्लाम पर देशद्रोह और फिर NSA के तहत मामला दर्ज होना, यह दिखाता है कि सरकार किसी भी सूरत में समझौता नहीं करेगी।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर, यानी ‘चिकन नेक’ को लेकर हिमंता ने बड़ी रणनीतिक सोच रखी है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ सीमावर्ती इलाके भारत से जुड़े होते, तो पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा, सप्लाई और सेना की मूवमेंट अधिक मज़बूत हो सकती थी। यह बयान न सिर्फ रणनीतिक रूप से अहम है, बल्कि यह चीन और बांग्लादेश जैसे देशों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है।

वहीं, बांग्लादेश सीमा से लगे संवेदनशील इलाकों में रह रहे मूल निवासियों को आत्मरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस देने का फैसला भी ऐतिहासिक माना जा रहा है। हिमंता सरकार ने यह कदम उन लोगों की सुरक्षा के लिए उठाया है जो अवैध घुसपैठ और बांग्लादेशी गतिविधियों के कारण डर में जी रहे हैं।

हिमंता बिस्वा सरमा ने यह भी कहा कि असम में अब बच्चे मदरसों के बजाय स्कूल जाएंगे और मुल्ला-मौलवियों की जगह डॉक्टर-इंजीनियर बनेंगे। विकास के साथ-साथ कट्टरपंथ पर कड़ा प्रहार करने वाले हिमंता अब पूरे पूर्वोत्तर को एक सुरक्षित और मजबूत भविष्य की ओर ले जा रहे हैं।