कांग्रेस पार्टी इस समय कई मोर्चों पर घिरी हुई नजर आ रही है। एक तरफ राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी लिखकर वंचित छात्रों की मदद की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर खुद उन पर ‘सहानुभूति की राजनीति’ करने के आरोप लग रहे हैं। वहीं वायनाड से चुनाव जीतकर चर्चाओं में आईं प्रियंका गांधी वाड्रा को अब केरल हाईकोर्ट की नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही कर्नाटक में वाल्मीकि फंड घोटाले को लेकर कांग्रेस के सांसदों और विधायकों पर ईडी की कार्रवाई पार्टी के लिए नई मुसीबत लेकर आई है।
राहुल गांधी की चिठ्ठी, सहानुभूति की राजनीति?
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दरभंगा के अंबेडकर छात्रावास की दुर्दशा का हवाला दिया है। उन्होंने मांग की है कि वंचित तबकों के छात्रों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं मिलें। लेकिन इस पत्र को लेकर राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह संवेदनशीलता है या चुनाव बाद की रणनीतिक सहानुभूति बटोरने की कोशिश? विरोधियों का कहना है कि यह वही पुरानी स्क्रिप्ट है जहां कांग्रेस एक बार फिर ‘भावनात्मक राजनीति’ के रास्ते वापसी की कोशिश कर रही है।
प्रियंका गांधी पर आरोप, कर्नाटक में घोटाला
वायनाड से चार लाख से अधिक वोटों से जीतने वाली प्रियंका गांधी को अब केरल हाईकोर्ट ने नोटिस भेजा है। बीजेपी की नव्या हरिदास का आरोप है कि प्रियंका ने अपने नामांकन पत्र में संपत्ति की जानकारी छुपाई। यह आरोप कांग्रेस की उस छवि पर सवाल उठाते हैं, जो खुद को ‘ईमानदार राजनीति’ की मिसाल बताती रही है।
इधर कर्नाटक में वाल्मीकि फंड घोटाले को लेकर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है। कांग्रेस के एक मंत्री पहले ही बर्खास्त हो चुके हैं, और अब पार्टी के सांसद और तीन विधायकों पर छापेमारी हुई है। आरोप है कि गरीबों के कल्याण के लिए आए फंड का बड़ा हिस्सा निजी लाभ के लिए इस्तेमाल हुआ।
कांग्रेस जिस छवि को लेकर जनता के बीच खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही थी, वही अब उसकी सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है। पार्टी के शीर्ष नेता जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं और विपक्ष इस पूरे घटनाक्रम को लेकर हमलावर हो गया है।