बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। चुनाव आयोग के बोगस वोटर्स हटाने और नए मतदाताओं को जोड़ने के फैसले के खिलाफ विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है। महागठबंधन दलों ने मंगलवार को राज्यभर में चक्का जाम का ऐलान किया है। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए मतदाताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। इसके साथ ही वोटर लिस्ट रिवीजन को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है।

महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र के खिलाफ है और सत्तारूढ़ दल अपने फायदे के लिए वोटर लिस्ट में हेरफेर कर रहा है। चक्का जाम के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी पटना पहुंचेंगे और इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। राहुल गांधी महागठबंधन के अन्य प्रमुख नेताओं, जैसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। विपक्ष इसे सत्ता के खिलाफ अपनी ताकत दिखाने का एक मौका मान रहा है।

दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा सियासी दांव खेलते हुए बिहार में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण देने का ऐलान किया है। नीतीश कुमार के इस फैसले को चुनावी गेम चेंजर के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे महिलाओं और युवाओं के बीच नीतीश सरकार की पकड़ मजबूत हो सकती है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य में चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है और विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है।

सरकार की ओर से साफ किया गया है कि वोटर लिस्ट रिवीजन चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है और इसे पारदर्शिता के साथ पूरा किया जाएगा। वहीं, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी तरह के बवाल या उपद्रव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और शांति भंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

बिहार में वोटर लिस्ट विवाद और महागठबंधन के चक्का जाम ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। एक तरफ विपक्ष सरकार पर लोकतंत्र विरोधी कदम उठाने का आरोप लगा रहा है, तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन घटनाक्रमों का आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ता है।