सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों से जुड़ी याचिका को आज खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह की चुनावी जांच का अधिकार केवल निर्वाचन आयोग के पास है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल नहीं दे सकता। इसके साथ ही, शेखपुरा जिले की स्थानीय अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गवासी माता पर विवादित टिप्पणी के मामले में राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी किया है, जिससे उनके सामने दो महत्वपूर्ण कानूनी चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।

राहुल गांधी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मत चोरी और धांधली का आरोप लगाया था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने की मांग की गई थी। हालांकि, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की दो सदस्यीय बेंच ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि चुनाव से संबंधित शिकायतों की जांच का एकमात्र अधिकार निर्वाचन आयोग के पास है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालत का दखल उचित नहीं है और याचिकाकर्ताओं को अपने आग्रहों के लिए आयोग के पास जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों का राजनीतिक नैरेटिव पूरी तरह से खारिज हो गया। इस मामले में अदालत ने साफ किया कि मतदाताओं की गिनती और निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार की अनियमितताओं की जांच केवल आधिकारिक चुनाव आयोग द्वारा ही की जा सकती है।

साथ ही, शेखपुरा जिले की स्थानीय अदालत ने प्रधानमंत्री मोदी की स्वर्गवासी माता पर विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के खिलाफ समन जारी किया। अदालत ने इस मामले में आगामी सुनवाई की तिथि निर्धारित की है। इस कदम से राहुल गांधी के कानूनी मोर्चे पर चुनौती और बढ़ गई है, और अब उन्हें दोनों मामलों में कानूनी तैयारी करनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला चुनावी चर्चा को प्रभावित कर सकता है और कांग्रेस नेता के लिए आगामी राजनीतिक परिदृश्य में नई चुनौतियां पेश करेगा। आने वाले दिनों में चुनाव आयोग और अदालत की कार्रवाई इस मामले की दिशा तय करेगी।