कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की “वोटर अधिकार यात्रा” दूसरे दिन ही विवादों में घिर गई। मंगलवार को औरंगाबाद जिले में रैली के दौरान पुलिस के साथ धक्का-मुक्की हुई। इसके बाद आरजेडी के राज्यसभा सांसद संजय यादव और नबीनगर से आरजेडी विधायक विजय कुमार सिंह के सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हो गई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। विपक्षी महागठबंधन के भीतर खटपट की अटकलें भी इसी के साथ तेज हो गई हैं।

यात्रा के दौरान तनाव और सवाल

राहुल गांधी की यह यात्रा बिहार में मतदाता अधिकारों को लेकर चलाई जा रही है। दूसरे दिन यात्रा औरंगाबाद पहुंची, जहां पहले पुलिस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में धक्का-मुक्की हुई। इसके बाद आरजेडी नेताओं के सुरक्षाकर्मियों में भिड़ंत हो गई। विवाद के चलते आयोजन स्थल पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
यात्रा का रूट उन इलाकों से होकर बनाया गया है जहां मुस्लिम आबादी अधिक है। इसी को लेकर विपक्ष और राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यात्रा को विशेष वोट बैंक साधने के लिए डिजाइन किया गया है।

विपक्ष का चुनाव आयोग पर हमला

इधर, बिहार SIR और कथित वोट चोरी के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने चुनाव आयोग पर एक बार फिर निशाना साधा। मंगलवार को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी, आम आदमी पार्टी और सीपीएम ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर गंभीर सवाल खड़े किए।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि “चुनाव आयोग विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं दे रहा है।” विपक्षी दलों ने कहा कि आयोग का रवैया लोकतांत्रिक संस्थानों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है।

महागठबंधन में दरार के संकेत?

राहुल गांधी की यात्रा के दौरान हुई झड़प ने विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं के बीच विवाद ने साफ कर दिया है कि महागठबंधन के भीतर तनाव मौजूद है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यदि इस यात्रा के दौरान ऐसी घटनाएं दोहराई गईं तो चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन में दरार और गहरी हो सकती है।

राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा का मकसद मतदाता अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाना है, लेकिन शुरुआती दिनों में ही यह विवादों और सवालों से घिर गई है। आरजेडी-कांग्रेस नेताओं के बीच झड़प और चुनाव आयोग पर विपक्ष के हमले से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में बिहार की सियासत और भी गरमाने वाली है। अब नजर इस पर है कि विपक्ष इन मुद्दों पर कितनी देर तक एकजुट रह पाता है।