संसद के मानसून सत्र में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर प्रस्तावित बहस से पहले ही भारी हंगामा देखने को मिला। लोकसभा में विपक्षी दलों ने जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। वहीं, संसद के बाहर भी विपक्षी नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर और SIR को लेकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर आधिकारिक चर्चा की शुरुआत की जानी थी, लेकिन विपक्षी दलों ने उससे पहले ही नारेबाजी और आरोपों का सिलसिला शुरू कर दिया। विपक्ष की मांग थी कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर की पूरी जानकारी सामने लाए और उसमें पारदर्शिता रखे। इसके साथ ही, कई विपक्षी सांसदों ने इस ऑपरेशन की आड़ में राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विपक्ष से शांतिपूर्वक चर्चा में भाग लेने की अपील की, लेकिन शोर-शराबा जारी रहा। स्पीकर ने कहा, “यह तरीका लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। चर्चा का मंच संसद है, सभी को बोलने का अधिकार है, लेकिन नियमों का पालन जरूरी है।”
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “सरकार चर्चा से नहीं भाग रही है। लेकिन विपक्ष बहस से पहले ही हंगामा कर रहा है। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित होती है।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “जो बोलना है, वो मैं संसद के भीतर ही बोलूंगा।” वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा भी ऑपरेशन सिंदूर पर बोलने को तैयार बताई जा रही हैं और जल्द ही वह इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दे सकती हैं।
SIR के मुद्दे पर भी विपक्ष हमलावर बना रहा। कई सांसदों ने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट संशोधन के नाम पर विपक्षी मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि चुनाव आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि SIR का मकसद मतदाता सूची को अद्यतन करना है, न कि किसी विशेष वर्ग को बाहर करना।
सरकार की ओर से यह संकेत दिए गए हैं कि वह ऑपरेशन सिंदूर पर पूर्ण बहस के लिए तैयार है, लेकिन नियमों के तहत ही। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि मंगलवार को विपक्ष शांतिपूर्वक चर्चा में भाग लेता है या फिर गतिरोध और गहराता है।