जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन वैली में हुए आतंकी हमले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्टों के अनुसार, इस हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर साजिद जट्ट की बड़ी साजिश थी। बताया जा रहा है कि 26 पर्यटकों को धर्म पूछकर निशाना बनाया गया था। यह हमला 6 मई को हुआ था, जिसके बाद भारत ने 7 मई से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जो अब भी जारी है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, एक अंग्रेजी मीडिया रिपोर्ट ने दावा किया है कि यह हमला पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया। ISI ने लश्कर कमांडर साजिद जट्ट से सीधे संपर्क कर जम्मू-कश्मीर में विदेशी आतंकियों की तैनाती का निर्देश दिया था। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि इस मिशन को अत्यंत गोपनीय रखा गया था और किसी भी स्थानीय आतंकी को शामिल नहीं किया गया।
हमले का तरीका और उद्देश्य
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि बैसरन वैली में आतंकी टूरिस्टों को रोककर उनका धर्म पूछते थे, और फिर चुन-चुनकर उन पर गोलियां चलाई गईं। हमले का मकसद जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक तनाव भड़काना और अमरनाथ यात्रा से पहले दहशत फैलाना था। इस हमले में जिन विदेशी आतंकियों के शामिल होने की बात सामने आई है, उनकी पहचान प्रक्रिया जारी है।
हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए व्यापक कार्रवाई की जा रही है। इस ऑपरेशन के तहत अब तक दर्जनों आतंकी ठिकानों को नष्ट किया जा चुका है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों की पहचान कर उन्हें ‘टारगेटेड ऑपरेशन’ में समाप्त किया जा रहा है।
क्या होगा अगला कदम?
इस ताजा रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कड़ा रुख अपनाए जाने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की भूमिका को वैश्विक स्तर पर उजागर कर सकता है।
पहलगाम में हुए इस जघन्य हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खतरे को सामने ला दिया है। भारत की जवाबी कार्रवाई से स्पष्ट है कि अब आतंकियों और उनके संरक्षकों को बख्शा नहीं जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए सुरक्षा एजेंसियां घाटी में आतंक के सफाए के मिशन पर जुटी हैं, और यह कार्रवाई तब तक जारी रहेगी जब तक आखिरी गुनहगार मारा नहीं जाता।