अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति और घरेलू विवादों के केंद्र में आ गए हैं। एक नई खुफिया रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप की नीतियों और बयानों के कारण 32 देशों में उनके खिलाफ असंतोष और नाराजगी देखी गई है। इस रिपोर्ट के आने के बाद अमेरिकी कैबिनेट के भीतर भी भारी खलबली मच गई है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिए गए बयान को ट्रंप के आलोचकों द्वारा ‘कड़ी फटकार’ के रूप में देखा जा रहा है, जिससे यह मामला और गरमा गया है।
32 देशों में विरोध की लहर, अमेरिका में बढ़ी बेचैनी
यूएस इंटेलिजेंस चीफ द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि ट्रंप के विदेश नीति से जुड़े निर्णयों और व्यक्तिगत बयानों ने कई देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, 32 देशों में ट्रंप के नेतृत्व पर नकारात्मक राय बन चुकी है, जिनमें यूरोपीय और एशियाई देशों की बड़ी संख्या शामिल है। इन देशों ने यह संकेत दिए हैं कि ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने की स्थिति में वे अमेरिका के साथ अपने संबंधों की समीक्षा कर सकते हैं।
मोदी का बयान और ट्रंप पर परोक्ष हमला
इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक वैश्विक मंच पर दिया गया बयान खासा सुर्खियों में है। उन्होंने वैश्विक नेतृत्व में जिम्मेदारी, संतुलन और दूरदृष्टि की जरूरत पर बल दिया। विश्लेषकों का मानना है कि यह टिप्पणी परोक्ष रूप से ट्रंप की उस राजनीति पर निशाना थी, जिसमें वह अक्सर राष्ट्रवाद और टकराव की नीति अपनाते हैं। मोदी के इस बयान को अमेरिकी मीडिया और विश्लेषकों ने ट्रंप के खिलाफ ‘साफ संदेश’ की तरह प्रस्तुत किया है।
इन घटनाओं ने न केवल ट्रंप की अंतरराष्ट्रीय छवि पर सवाल उठाए हैं, बल्कि आगामी चुनावों में उनकी रणनीति और समर्थन आधार पर भी असर डालना शुरू कर दिया है। अब देखना यह है कि ट्रंप इस बढ़ते वैश्विक और घरेलू दबाव का सामना कैसे करते हैं।





