ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव के बीच भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी की कवायद शुरू हो गई है। ईरान ने सोमवार को विदेशी नागरिकों को देश छोड़ने की इजाजत दे दी है। भारत सरकार ने ईरान में फंसे अपने छात्रों को निकालने के लिए आर्मेनिया में भारतीय राजदूत से संपर्क किया है।

भारत सरकार की योजना के तहत छात्रों को आर्मेनिया की सीमा पर स्थित नॉरदुज चेकपोस्ट तक ले जाया जाएगा, जहां से उन्हें बसों के जरिए निकाला जाएगा।

ईरान में इस समय लगभग 10,000 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें से करीब 1,500 छात्र शामिल हैं। ईरानी विदेश मंत्रालय का कहना है कि मौजूदा हालात में देश के हवाई अड्डे भले ही बंद हैं, लेकिन सभी जमीनी सीमाएं अभी भी खुली हैं।

विदेशी नागरिकों को देश छोड़ने से पहले कुछ प्रक्रियाओं को पूरा करना अनिवार्य है। इसके तहत संबंधित देशों के राजनयिक मिशनों को ईरान के जनरल प्रोटोकॉल विभाग को पूर्व जानकारी देनी होगी। इसमें नागरिकों के नाम, पासपोर्ट नंबर, वाहन की जानकारी, निकलने का समय और जिस बॉर्डर से जाना है, वह सूचना भी देनी होगी।

ईरान के मिसाइल हमले से इजराइल में 8 की मौत, 600 से ज्यादा घायल

इजराइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष अब और ज्यादा खतरनाक होता जा रहा है। सोमवार को ईरान ने सेंट्रल इजराइल में कई जगहों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

यह पिछले चार दिनों में ईरान का इजराइल पर सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। अब तक ईरानी हमलों में इजराइल में कुल 24 लोगों की जान जा चुकी है और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

वहीं, ईरान में भी भारी नुकसान हुआ है। अब तक 224 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 1,277 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। अमेरिका स्थित मानवाधिकार संगठन ने दावा किया है कि ईरान में मरने वालों की संख्या 406 हो सकती है।

गौरतलब है कि यह संघर्ष शुक्रवार रात से शुरू हुआ था। रविवार रात इजराइल ने ईरान के विदेश मंत्रालय को निशाना बनाया, जिसमें 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। शनिवार को इजराइल ने ईरानी रक्षा मंत्रालय पर भी हमला किया था।